कोरोना की वजह से हाईकोर्ट पर बढ़ा मुकदमों का बोझ, इतने लाख से ज्यादा केस पेंडिंग
प्रयागराज. कोरोना की इस वैश्विक महामारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) पर मुकदमों का बोझ और बढ़ा दिया है. कोरोना काल में पिछले एक साल से ज्यादा समय से मुकदमों की नियमित सुनवाई न हो पाने के चलते जहां हाईकोर्ट में दस लाख से ज्यादा मुकदमे पेंडिग (Pending Cases) हो गये हैं, वहीं बीते दो माह में ही 24 हजार नये केसों का हाईकोर्ट में दाखिला हुआ है. लेकिन हाईकोर्ट में कोरोना संक्रमण के चलते वीडियो कांफ्रेन्सिंग से हो रही वर्चुअल सुनवाई में आ रही दिक्कतों के चलते केसों का निपटारा नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते जहां हाईकोर्ट पर मुकदमों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ और लखनऊ बेंच में कार्यरत 98 जजों पर 10 लाख से ज्यादा मुकदमों की सुनवाई करने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गयी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट बड़ी संख्या में मुकदमों की वर्चुअल सुनवाई के बाद निस्तारण किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद हाईकोर्ट में विचाराधीन मुकदमों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है. हाईकोर्ट की वेबसाइट पर एक मई 2021 तक मौजूद जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट की प्रधानपीठ 788399 और लखनऊ बेंच 224316 को मिलाकर पेंडिंग मुकदमों की संख्या 10,12,715 हो गई है. हजारों याचिकाओं का कार्यालय में अंबार लगा है, जिन्हें अभी पंजीकृत किया जाना बाकी है. विचाराधीन मुकदमों की संख्या में बढ़ोत्तरी का यह आलम तब है, जब दाखिले के समय ही कोर्ट द्वारा आधे से अधिक मुकदमे तत्काल निस्तारित कर दिए जा रहे हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष 10 लाख से अधिक मुकदमों के बोझ से निपटने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गयी है. जजों की नियुक्ति प्रक्रिया धीमी होने के कारण जजों की कमी भी मुकदमों के निस्तारण में बाधक बन रही है. मौजूदा समय में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत 160 पदों के सापेक्ष महज 98 जज ही कार्यरत हैं, यानि हाईकोर्ट में अभी 62 पद खाली हैं. हालांकि हाईकोर्ट कोलेजियम ने 31 वकीलों का नाम जज के रूप में नियुक्ति के लिए केन्द्र सरकार के पास भेजा है, और जांच पूरी होने के बाद इन्हें सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की संस्तुति के लिए रखा जाएगा. इन नियुक्तियों के बाद स्थिति में सुधार दिखाई दे सकता है.
वहीं कोरोना का संक्रमण शुरु होने के बाद 19 मार्च 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट पहली बार बंद कर किया गया था. जिसके बाद संक्रमण कम होने पर हाईकोर्ट खुला, लेकिन कोरोना की सेकंड वेब आने के बाद एक बार फिर से हाईकोर्ट में मुकदमों की सुनवाई फिजकली नहीं हो पा रही है, बल्कि वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए वर्चुअली मुकदमे सुने जा रहे हैं. कई बार वकीलों को लिंक न मिलने और नेटवर्क की समस्या के चलते भी मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पाती है. जिससे मुकदमों की पेंडेंसी लगातार बढ़ रही है. हांलाकि वर्ष 2017 से पहले विचाराधीन मुकदमों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी. लेकिन कोरोना काल में आंकड़ा तेजी से बढ़ते हुए 10 लाख के पार हो गया. हाईकोर्ट पर मुकदमों के बढ़ते बोझ और वादकारियों को न्याय मिलने में हो रही देरी को लेकर हाईकोर्ट बार एशोसिएसन ने कोविड प्रोटोकाल के पालन के साथ मुकदमों की सुनवाई फिजिकली शुरु किए जाने की चीफ जस्टिस से मांग की है. हाईकोर्ट बार एशोसिएशन के अध्यक्ष अमरेन्द्र नाथ सिंह के मुताबिक बीते दो महीनों में 24 हजार नये मुकदमे दाखिला हुए है, लेकिन वर्चुअली सुनवाई की व्यवस्था के चलते इन मुकदमों की सुनवाई भी नहीं हो पा रही है.
बहरहाल, हाईकोर्ट बार एशोसिएसन ने उम्मीद जतायी है कि जल्द ही चीफ जस्टिस के निर्देश पर हाईकोर्ट में फिर से मुकदमों की सुनवाई की पुरानी व्यवस्था बहाल होगी. जिसके बाद हाईकोर्ट में लम्बित मुकदमों की सुनवाई में भी जहां तेजी आयेगी. वहीं वादकारियों और वकीलों के बीच मुकदमों के निस्तारण से विश्वास भी बढ़ेगा और हाईकोर्ट पर मुकदमों का बोझ भी कम होगा.