चीन को कीमत चुकानी पड़ेगी’ : डोनाल्ड ट्रंप
‘चीन को कीमत चुकानी पड़ेगी’ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इन अलफाज़ों पर ज़रा गौर किजिए। जी हां 19 अप्रैल को मीडिया से मुखातिब होते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा हैं कि ये जल्द ही साफ हो जाएगा कि कोरोना जैसा खतरनाक वायरस चीन से गलती से फैला है या फिर जानबूझकर फैलाया गया हैं, लेकिन अगर इस वायरस के पीछे चीन का हाथ निकला तो उसकी कीमत चीन को चुकानी पड़ेगी।
दरअसल जिस तरह से कोरोना ने पूरी दुनिया में आतंक मचाया हैं उसके चलते पूरी दुनिया इस कोशिश मे लगी है कि जल्द से जल्द इस वायरस का तोड़ निकले और खासतौर पर जो कीमत अमेरिका इस वायरस की वजह से चुका रहा हैं उसके चलते अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का गुस्सा सातवें आसमान पर हैं और कोरोना वायरस के लिए डोनाल्ड ट्रंप पूरी तरह से चाइना को जिम्मेदार बता रहा है। यही कारण कि अमेरिका कोरोना वायरस से जुड़ी हुई हर खबर पर गौर कर रहा हैं ऐसे में अमेरिका की नज़र उस खबर पर भी हैं। जिसमें ये दावा किया गया हैं कि ..कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर की विषाणु विज्ञान प्रयोग शाला से लीक हुआ हैं।
फॉक्स न्यूज़ में ये दावा किया गया हैं कि कोरोना वायरस वुहान इंस्ट्टयूट ऑफ वायरलॉजी में काम कर रहे एक इंटरन ने इसे गलती से लीक कर दिया था। ऐसे में अमेरिका की खुफिया एजेंसी इस बाबत जानकारिया जुटाने में लगा हुआ हैं। जबकि चीन ने अमेरिका के इन आरोपो को सिरे से खारिज कर दिया हैं । लेकिन जिस तरह से कोरोना वायरस दुनिया को मुश्किल में डाल रहा हैं उसके चलते चीनी सरकार और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पर सवालों के उठने का सिलसिला और तेज़ हो गया हैं।
अमेरिका के साथ – साथ कई दूसरे देशों के लोगो का कहना है कि कोरोना वायरस वुहान की लैब से ही लीक होकर इंसानों में फैला हैं। अभी वायरस और चीन पर चर्चा चल ही रही थी कि इसी बीच चीन से कुछ ऐसी तस्वीरे सामने आई है जिसने चीन वायरोलॉजी लैब की सिक्योरिटी पर सवाल खड़़े कर दिए हैं। इन तस्वीरों के जरीए ये दावा किया जा रहा है कि वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के एक फ्रीज की सील टूटी हुई थी जिसमे वायरस रखे गए थे। असल में वुहान के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की ये तस्वीरें पहली बार 2018 में चाइना डेली न्यूजपेपर ने ट्विटर पर प्रकाशित किए थे। लेकिन बाद में इस ट्वीट को डिलीट कर दिया गया।
इसी हफ्ते ये फोटोज सोशल मीडिया पर फिर से वायरल हो गईं हैं। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, चाइना डेली अखबार ने लैब की फोटोज के साथ लिखा था- ‘एशिया के सबसे बड़े वायरस बैंक पर एक नजर। सेंट्रल चीन के हुबेई में स्थित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने 1500 से अधिक वायरस स्ट्रेन्स को संरक्षित करके रखा है और इसी तस्वीर पर एक यूज़र ने रिट्टवीट करते हुए लिखा था कि ”’ हमारे किचन के फ्रिज की सील इससे बेहतर होती हैं। एक ओर जहां चीन पहले ही दूसरे देशों के सवालों से परेशान है कि आखिर वायरस कैसे फैला और इसे पहले कंट्रोल क्यों नहीं किया गया, दूसरी ओर वुहान लैब की पुरानी तस्वीरें सामने आने के बाद चीन पर उठ रहे सवालों की धार और तेज़ हो गई हैं। इससे पहले चीनी सरकार ये दावे करती आई है कि वुहान की वायरोलॉजी लैब में सेफ्टी और सिक्यॉरिटी बहुत पुख्ता है लेकिन सामने आई तस्वीरों में कहानी कुछ और ही नजर आ रही है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वे वुहान इंस्टीट्यूट को दिए जाने वाले फंड को खत्म कर देगें। साथ ही अमेरिका का कहना ये भी हैं कि अगर चीन की नीयत साफ होती तो चीन दुनिया के साइंटिस्ट को अपने यहां आने देता और इस बात की तह तक पहुचने में सहयोग करता कि आखिर कोरोना वायरस आया कैसे और फैला कैसे, लेकिन जिस तरह से चीन दूसरे देशों के वैज्ञानिको अपने यहां आने से रोक रहा हैं उसके चलते भी कोरोना वायरस पर चीन की सफाई पर यकीन नही किया जा सकता ।
ये भी कहा जा रहा हैं कि अमेरिकी राजनयिकों ने 2018 में वॉशिंगटन को वुहान की लैब से जुड़ी जानकारी भेजी थी कि वुहान लैब में चमगादड़ में मिलने वाले वायरस पर काम चल रहा हैं और इस रिसर्च पर नई तरीके की सार्स जैसी महामारी फैलने का खतरा पैदा हो सकता हैं। फिलहाल अमेरिका चीन को माफ करने को तैयार नही है और चीन अपने ऊपर लगाए जा रहे आरोपो को पूरी तरह से खारिज कर चुका हैं।