‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ फ़िल्म में ‘लिपिस्टिक’ का रंग नज़र नहीं आया!

-ए॰ एम॰ कुणाल

 

अलंकृता श्रीवास्तव निर्देशित फ़िल्म “डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे“ ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। अलंकृता इस बार भोपाल की तंग गलियों से निकल कर नोएडा के कंक्रीट शहर में रह रही उन महिलाओं की आवाज़ को सिल्वर स्क्रीन पर उतारने की कोशिश की, जो सामाजिक बंदिशों के बुर्के में कैद है। अलंकृता की पिछली फ़िल्म ‘लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का,’ नए ख्यालात में जीने की चाह रखने वाली महिलाओं की कहानी थी। उसी कहानी को आगे बढ़ाते हुए इस फ़िल्म में “डॉली और किट्टी” की भूमिका में कोंकणा सेन शर्मा और भूमि पेडनेकर, सामाजिक बंदिशों को तोड़ती और छोटे शहरों की महिलाओं को मोर पंख लगाती नज़र आएगी।

एक दौर की यौन वर्जनाएं जो चरम नैतिकता के रुप में स्थापित होती है वही दूसरे दौर में मनुष्य को अपनी उन्मुक्ति में बाधा के रुप मे महसूस होने लगती है। स्थापित नैतिक मान्यताओं के विरुद्ध नई स्थापनाओं के बीच एक निरंतर टकराहट की स्थिति बनी रहती है और यह टकराहट अलंकृता श्रीवास्तव ने फ़िल्म ‘लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का’ से लेकर “डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे“ मे दिखाया है।

हालाँकि ‘लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का’ फ़िल्म काफ़ी विवादों में रही थी। फ़िल्म के निर्माता प्रकाश झा के ख़िलाफ़ भोपाल में फतवा तक जारी कर दिया गया था। इसके बावजूद एक बार फिर से अलंकृता दूसरी बार बोल्ड फ़िल्म लेकर आई है। पिछली फ़िल्म में अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह के किरदार को काफ़ी सराहा गया था। इस बार निर्देशक ने अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा दांव खेला है।

कोंकणा सेन शर्मा और भूमि पेडनेकर द्वारा अभिनीत “डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे,” आज के जमाने की उस हकीकत पर रोशनी डालती है, जिसके बारे में बातें भी बंद कमरे में की जाती है। यह फ़िल्म ऐसे विषय पर आधारित है, जिसपर कुछ लोगों को भले आपत्ति हो, लेकिन यह वह सच्चाई है जिसे अब झुठलाया नहीं जा सकता। डॉली और किट्टी उर्फ़ कोंकणा सेन शर्मा और भूमि पेडनेकर ने दो कजिन बहनों की भूमिका में है, जो एक-दूसरे से जलती तो है पर समाज के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक-दूसरे को सबसे क़रीब पाती है।

डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे दो बहनों की कहानी है, जो ग्रेटर नोएडा में रहते है। डॉली (कोंकणा सेन शर्मा) शादीशुदा हैं और अपने पति (आमिर बशीर) और दो बच्चे के साथ तंगी में जिंदगी जी रही होती हैं, जिसके लिए घर में एसी लगाना भी बहुत बड़ी बात है। एक फ्लैट का सपना और छोटे बेटे में लड़की के गुण के बीच उसकी ज़िंदगी कट रही होती है। इसी बीच डॉली की कजिन सिस्टर काजल (भूमि पेडनेकर) उसके पास रहने आ जाती है। काजल पर उसके जीजा (आमिर बशीर) की गंदी नजर होती है, जिसके बारे में वह अपनी दीदी को भी बताती भी है, लेकिन डॉली अपनी बहन पर विश्वास नहीं करती है। काजल अपनी बहन का घर छोड़ कर एक गर्ल्स होस्टल में रहने लगती है। काजल एक सेक्स चैट कॉल सेंटर में नौकरी करने लगती है। यहाँ से किट्टी की एंट्री होती है। किट्टी बनकर काजल ग्राहकों से बात करने लगती है। काजल के रेगुलर कॉलर्स में उसका जीजा और प्रदीप (विक्रांत मेसी) होते हैं। फ़ोन चैट के दौरान काजल को प्रदीप से प्यार हो जाता है। प्रदीप से मिलने के लिए काजल ब्लाइंड डेट पर जाती है और उसके प्यार में अपना सब कुछ निछावर कर देती है।

उधर अपनी फ़ैमिली लाइफ़ से परेशान चल रही डॉली को शुरू-शुरु में काजल का मौज-मस्ती पसंद नहीं आती है। वह अपनी छोटी बहन काजल उर्फ किट्टी की बातों से असहमति दिखाती हैं पर अंदर से वो उसकी तरह बनना चाहती है। डॉली अपनी बहन का कॉपी करने की कोशिश करती है। डॉली भी एक डिलिवरी बॉय उमर (अमोल पाराशर ) से दिल लगा बैठती है। जब उसके पति को पता चल जाता है तो वह बोल्ड्ली एक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स को स्वीकार करती है। उधर काजल का भी दिल टूट जाता है जब उसे पता चलता है कि प्रदीप शादीशुदा है। उसके बाद फ़िल्म की कहानी टर्न लेती है। डॉली का क्या होता है? किट्टी का किरदार काजल को डॉली के क़रीब लाता है या दूर ले जाता है? इसके लिए आपको पूरी फ़िल्म देखनी चाहिए।

‘लिपिस्टिक अंडर माई बुर्का’ की बुआजी आप लोगों को याद है या भूल गए? अगर भूल गए हो तो कोंकणा शर्मा अपनी अदाकारी से बुआजी (रत्ना पाठक) की कमी महसूस होने नहीं देंगी। कोंकणा शर्मा ने डॉली के किरदार में जान डाल दिया है। डॉली और उसकी मां (नीलिमा अजीम) का सीन कुछ पल के लिए पर काफी भावुक है। कोंकणा शर्मा का अनइक्स्पेक्टेड रिऐक्शन देख कर पल भर के लिए आप भौंचक रह जायेंगे। कोंकणा अपने शानदार अभिनय से भूमि पेडनेकर पर भारी पड़ी है।

किट्टी के एक कमज़ोर किरदार को भूमि पेडनकर ने बखूबी से निभाया है। इस फ़िल्म में भूमि के लिए बेहतर संवाद के अलावा कुछ ख़ास करने को नहीं था। इसके बावजूद भूमि ने कोंकणा शर्मा को ज़बरदस्त टक्कर दी है।

बाक़ी कलाकारों में डॉली के पति के रूप में आमिर बशीर, प्रदीप के किरदार में विक्रांत मैसी, डिलिवरी बॉय उमर के रोल में अमोल पाराशर और डॉली की मां के किरदार में नीलिमा अजीम, सपोर्टिंग एक्टर्स के रुप में सभी ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।

अलंकृता श्रीवास्तव निर्देशक के तौर पर तो सफल रही है पर एक कहानीकार के रूप में चूक हुई है। कई विषयों को एक साथ छूने की कोशिश में सबके साथ न्याय नहीं हो पाया है। मसलन डॉली के एक बेटे का जेंडर स्टीरियोटाइप्स वाला किरदार कही खो सा गया है। लिपस्टिक अंडर माई बुर्का के बाद अलंकृता श्रीवास्तव ने एक और बोल्ड सब्जेक्ट पर फ़िल्म बनाई है पर इस बार लगता है जैसे चूक गया चौहान !

फिल्म: डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे
निर्माता: एकता कपूर
डायरेक्टरः अलंकृता श्रीवास्तव
कलाकारः भूमि पेडणेकर, कोंकणा सेन शर्मा, विक्रांत मैसी, आमिर बशीर और अमोल पाराशर
ओटीटी: नेटफ्लिक्स

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