U.P : निकल गया विकलांग के मकान का पैसा मगर नहीं मिला मकान, जाने क्या है पूरा मामला
प्रदेश की योगी सरकार के मंसूबों पर किस तरह उनके मातहत पलीता लगाने का काम कर रहे है ये देखना है तो आप प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले की एक विकलांग महिला के हालात देखिये।जिले के बर्डपुर विकासखण्ड के जीतपुर गांव निवासी ये विकलांग महिला आज भी टूट फूटे झोपड़ी में अपना जीवन यापन कर रही है वो भी तब जब इस महिला के रहने के लिये सरकारी आवास का पैसा भी निकाला जा चुका है लेकिन पैसा निकलने के बाद भी आवास नही बना।ये वाकया जिम्मेदारों द्वारा सरकार की मंशा पर पलीता लगाना नही तो और क्या है।
जिले के बर्डपुर न013 टोला जीतपुर की रहने वाली विकलांग महिला दुलरमती ने शिकायती पत्र देकर आवास दिलाने की मांग की है।दुलरमती ने ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी पर आरोप लगाते हुए बताया कि उसके नाम से आवास बनने के लिए आया था जिसका पैसा भी आया लेकिन ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी ने पैसा निकाल लिया और सरकार द्वारा मिली मदद के बाद भी उसका आवास नही अब तक नही बना है।पैसा निकाले जाने के सबूत के तौर पर महिला अपने बैंक खाते का विवरण भी दिखा रही है।विकलांग महिला दुलरमती ने इस जालसाजी की शिकायत जिलाधिकारी से भी की है।दुलरमती ने मांग की है कि उसके आवास का पैसा जालसाजी कर हड़पने वालो के खिलाफ जांच कर कार्यवाही की जाये और उसका आवास बनवाया जाये।इस महिला को विकलांग होने के कारण इसका पति भी छोड़ चुका है और ये महिला अपने मायके में ही पूर्व ग्राम प्रधान द्वारा दी गयी जमीन पर बिना आवास के रह रही है। वही जब आवास का पैसा निकालने और लाभार्थी का आवास न बनने के बारे में खण्डविकासधिकारी और जिलाधिकारी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और महिला को आवास दिलाया जाएगा।
ऐसे में अगर इस विकलांग महिला आरोप अगर सही है तो बड़ा सवाल है कि आखिर सरकार द्वारा जिसको आवास दिया जाता है उसका पैसा लाभार्थी के बैंक खाते में आता है तो कैसे विकलांग महिला के खाते में आवास के लिए आया धन ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकार ने निकाल लिया और अगर ऐसा हुआ है तो क्या ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी के साथ ही बैंक भी जिम्मेदार है या नही।अब देखना होगा कि इस विकलांग महिला को आवास मिलता है या ये इसबार भी हर बार की तरह कड़ाके की सर्दी में बिना आवास के ही रहने पर विवश रहेगी।