मोदी भक्तों चुप क्यों हो…दिग्विजय सिंह ने तालिबान के मुद्दे पर सरकार को घेरा

अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच खूनी झड़प जारी है। इस बीच तालिबान के मुद्दे पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तालिबान के मामले में आज फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को निशाने पर लिया और आरोप लगाया कि मोदी और शाह अफगानिस्तान की मदद ना कर तालिबान को फायदा पहुंचा रहे हैं। उन्होंने मोदी के समर्थकों पर भी तंज कसा।

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘मोदी भक्तों आप इस खबर पर चुप क्यों हैं? क्या साहब से संदेश नहीं आया? भाजपा, मोदी, शाह सरकार तालीबान के साथ चर्चा कर रही है। इमरान खान साहब भी तालीबान पर मेहरबान हैं। लगता है भाजपा-मोदी -शाह व इमरान खान अफ़ग़ानिस्तान की चुनी सरकार को मदद ना कर, तालिबान का रास्ता साफ़ कर रहे हैं।’

मोदी भक्तों आप इस खबर पर चुप क्यों हैं? क्या साहब से संदेश नहीं आया? भाजपामोदीशाह सरकार तालीबान के साथ चर्चा कर रही है। इमरान खान साहब भी तालीबान पर मेहरबान हैं। लगता है भाजपामोदीशाह व इमरान खान अफ़ग़ानिस्तान की चुनी सरकार को मदद ना कर, तालिबान का रास्ता साफ़ कर रहे हैं।

इससे पहले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि जब तक पाकिस्तान की इमरान खान सरकार मुंबई आतंकवादी हमलों और भारत के खिलाफ दहशतगर्दी की अन्य हरकतों के मददगारों पर सख्त कार्रवाई नहीं करती, तब तक दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच बातचीत का सिलसिला बहाल होना मुमकिन नहीं है। सिंह ने इंदौर में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत बहाल करने में वे सारे लोग बाधा हैं जिनकी मुंबई आतंकवादी हमलों और (भारत के खिलाफ) अन्य आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोगों को प्रश्रय और वित्तीय मदद देने में शामिल होने को लेकर पहचान हो गई है।”

उन्होंने हाफिज सईद और मसूद अजहर का नाम लेते हुए कहा कि भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लोग “पूरी तरह से” पाकिस्तान सरकार के संरक्षण में हैं। उन्होंने कहा, “जब तक इमरान खान सरकार इन लोगों को संरक्षण देती रहेगी और इन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं करेगी, तब तक दोनों पड़ोसी देशों के बीच भला कैसे बातचीत होगी? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने ये बातें इमरान खान के उस ताजा बयान को लेकर प्रतिक्रिया दिये जाने पर कहीं जिसमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने “सभ्य पड़ोसियों” के तौर पर भारत-पाकिस्तान संबंधों की राह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को कथित रूप से बाधक करार दिया था।

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