क्या सुशील के दांव से पुलिस हो गई चित? 10 दिनों में हाथ नहीं लगा कोई पुख्ता सबूत
नई दिल्ली. दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम (Chhatrasal Stadium) में 4 मई को हुई 23 वर्षीय पहलवान सागर धनखड़ की हत्या के मामले में फंसे ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार (Sushil Kumar) की दस दिन की रिमांड पूरी होने के बाद दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने इसे और तीन दिन बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने अपील ठुकराते हुए पहलवान को जेल भेज दिया है. तीन दिन की रिमांड मांगते हुए पुलिस ने कहा कि हमारे पास एक महत्वपूर्ण वीडियो है, जो जांच के दौरान मिला है. आरोपी सुशील को फिर से हरिद्वार लेकर जाना है. अभी और लोगों को गिरफ्तार करना है. इसके साथ ही पुलिस ने एक बार फिर आरोपी सुशील पहलवान पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है.
बहरहाल, 18 दिन तक दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में फरारी काटने वाले पहलवान सुशील कुमार के खिलाफ दस दिन की रिमांड में पुलिस के हाथ कोई खास और दमदार सबूत नहीं लगा है. हालांकि इस दौरान दिल्ली पुलिस की कई टीमें लगातार काम करती रहीं. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, क्राइम ब्रांच अपनी अब तक की जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. साफ है कि वह सुशील कुमार समेत अब तक गिरफ्तार 9 आरोपियों से कुछ भी खास नहीं उगलवा सकी है.
यही नहीं, सागर हत्याकांड को करीब एक महीना होने को है और पुलिस के हाथ अब तक कोई पुख्ता सबूत नहीं लगा है. जबकि इस मामले में अभी कुछ आरोपी फरार चल रहे हैं, जिनकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है. पुलिस छत्रसाल स्टेडियम में लगे सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर के अलावा वारदात के समय सुशील द्वारा पहने कपड़े और डंडा अभी तक रिकवर नहीं हुए हैं. वहीं, 23 मई को दिल्ली के मुंडका से सुशील और अजय की गिरफ्तारी स्कूटी पर हुई थी, लेकिन वह जिस कार से फरारी काट रहे थे, वो कहां है.
सुशील ने प्लानिंग के बाद की दिल्ली वापसी!
ऐसा लग रहा है कि सागर हत्याकांड के 18 दिन बाद पहलवान सुशील कुमार ने खास प्लानिंग के साथ दिल्ली में वापसी की. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, सुशील ने मारपीट की वजह प्रॉपर्टी विवाद बताया है. जबकि दस दिन की रिमांड के दौरान क्राइम ब्रांच कोई बहुत बड़ा सबूत नहीं जुटा सकी है. यही नहीं, क्राइम ब्रांच सुशील के साथी और सागर हत्याकांड के आरोपी प्रिंस दलाल के मोबाइल से वारदात वाली फुटेज नहीं मिलती तो उसके हाथ एकदम खाली रहते. वहीं, गवाहों के सहारे पहलवान सुशील और उसके साथियों को सजा दिलाना मुश्किल है, क्योंकि वह कभी भी मुकर सकते हैं. ऐसा लग रहा है कि सुशील के दांव के आगे दिल्ली पुलिस चित हो गई है.