“क्या फिरोज और इंदिरा ने नेहरू के खिलाफ शादी की?”
उस समय, पंडित नेहरू ने इस विवाह का विरोध किया था.
फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी की शादी भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। इस शादी को लेकर कई सवाल उठते हैं, खासकर जब इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू के विरोध के संदर्भ में देखा जाता है।
फिरोज गांधी, जो एक पारसी थे, और इंदिरा गांधी, जो नेहरू परिवार से थीं, का विवाह 26 मार्च 1942 को हुआ। उस समय, पंडित नेहरू ने इस विवाह का विरोध किया था, क्योंकि उनका मानना था कि पारसी समुदाय से इंदिरा की शादी भारतीय समाज के पारंपरिक मान्यताओं के खिलाफ जाएगी। नेहरू का यह भी कहना था कि फिरोज गांधी की सामाजिक और धार्मिक पृष्ठभूमि उनके परिवार की प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं थी।
हालांकि, इंदिरा और फिरोज ने इन विरोधों और पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देते हुए शादी करने का निर्णय लिया। इस निर्णय ने न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रेम की शक्ति को दर्शाया, बल्कि भारतीय समाज में पारंपरिक मान्यताओं के खिलाफ एक बड़ा कदम भी उठाया।
उनकी शादी ने यह साबित किया कि व्यक्तिगत इच्छाएं और प्रेम पारिवारिक और सामाजिक दबावों से ऊपर हो सकते हैं। इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की शादी ने भारतीय समाज में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जहां व्यक्तिगत पसंद और प्रेम ने पारंपरिक और सामाजिक मान्यताओं को चुनौती दी।
शादी के बाद, फिरोज और इंदिरा ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिरोज गांधी ने संसद में सक्रिय भूमिका निभाई, जबकि इंदिरा गांधी ने देश की प्रधानमंत्री के रूप में प्रभावशाली नेतृत्व प्रदान किया। इस प्रकार, उनका विवाह भारतीय राजनीति और समाज में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक घटना बन गया।