दिया मिर्ज़ा और सजंना संघी ने उठाई 100 लाख लड़कियों की आवाज़, Change.org पेटीशन का किया समर्थन

25 June, नई दिल्ली,अभि नेत्री दि या मिर्ज़ा और सजं ना संघी नेदेश की लड़कि यों की शि क्षा के भवि ष्य को बचानेके लि ए, सेव द चिल्ड्रने द्वारा चलाए जा रहे#AllyUpForHer कैंपेन व उनकी Change.org पेटीशन का समर्थनर्थ कि या। भारत में कोरोना के बाद अनुमानित 100 लाख लड़कि यांस्कूल वापस नहींजा सकेंगी, उनपर बाल-विवाह, बाल-मज़दरूी या ट्रैफ़िकिंग का खतरा बना रहेगा। दि या पहलेसेही सेव द चि ल्ड्रने की आर्टि स्ट एंबेसेडर रही हैंजबकि सजं ना नेहाल मेंही सस्ं था के लि ए शि क्षा की यथू एडवोकेट की भमिूमिका नि भा रही हैं।

अतं रराष्ट्रीय स्तर पर सेव द चि ल्ड्रने ने#100DaysOfAction प्लान के तहत बच्चों की शि क्षा को राजनीति क दलों
की प्राथमि कता बनानेका सकं ल्प लि या है। भारत मेंउनका कैंपेन #AllyUpForHer, जि सपर कि एक Change.org
पेटीशन भी चलाई जा रही है, उसकी मांग हैकि कोरोना के बाद देश के बच्चों, खासतौर सेबच्चि यों की स्कूल
वापसी सनिुनिश्चि त की जाए। भारत के शि क्षा मंत्री रमेश पोखरि याल ‘नि शंक’ को संबोधित सेव द चिल्ड्रने की पेटीशनchange.org/BadlaavKe100Din को कई बड़े नेताओ,अभि नेताओं और इंफ्लएूसर्स नेपहलेही सपोर्ट किया है।
जसै ेहुमा कुरैशी, नकुल मेहता, आदि ल हुसनै , सागरि का घोस, आशीष शर्मा और नेता जैसे कि कालि केश सि हं देव,
जहूी सि हं , चारू प्रग्या, सौरभ चौधरी, इत्यादि । इस Change.org पेटीशन को अबतक 12000 लोगों का समर्थनर्थ मिल
चुका है। कई सस्ं थाएंजैसे कि ब्रेकथ्फ्टी, रेड डॉट फाउंडशे न, राइट टूएजकुेशन फोरम, युवा, सटें र फॉर सोशल
रि सर्च,र्चगर्ल राइज़ि गं इंडि या, इत्यादि नेभी पेटीशन का समर्थनर्थ कि या है।
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यूनेस्को की रि पोर्ट के अनुसार पिछले साल सेही कोरोना नेदेश के 32 करोड़ लर्नर्सर्न र्सकी शि क्षा को प्रभावि त कि या।
अनुमानित है कि 100 लाख लड़कि यों पर भी दबुारा स्कूल नहींलौट पानेका खतरा है। लड़कि यों के लि ए समस्या
बड़ी हैक्योंकि इंटरनेट व डि जि टल माध्यमों की कमी के साथ-साथ वो जेंडर आधारि त भेदभाव सेभी लड़ती हैं।
उनके ऊपर जल्दी ब्याह दि ए जाने, कम उम्र मेंबच्चा, गरीबी, भखू , ट्रैफ़ि कि ंग और शोषण भरी मज़दरूी का खतरा
कहींज़्यादा है।
सेव द चिल्ड्रने की #100DaysOfAction प्लान सेनि कलेसभी सझु ावों और समर्थनर्थ को 8 सि तंबर (वि श्व साक्षरता
दि वस) के दि न शि क्षा मंत्री को सौंपनेकी योजना है।

भारत में15 साल सेकम उम्र वालेबच्चों मेंलड़कों के मुकाबले लड़कियां स्कूल से ज़्यादा दरू हैं। परुानी सभी
आपातकालीन परिस्थितियों के नतीजे बताते हैं कि जितने ज़्यादा दिन बच्चे स्कूल से दुर रहेंगे, उनके सीखने की
क्षमता उतनी प्रभावि त होगी और दबुारा स्कूल वापसी उतनी ही मुश्किलन। ऐसे सकंट में सबसे पहले लड़कियों की ही
पढ़ाई छुड़ा दी जाती है। कोरोना ने‘सबको शिक्षा’ के सपने को एक तरह से तोड़ दिया है।

ये कैंपेन हमारे लीड़रों को एक संदेश देरहा हैकि कैसेकोरोना नेदेश द्वारा शि क्षा के क्षेत्र में7 दशकों की प्रगति को
नुकसान पहुँचाया है या पलट दिया है। हमें इस समय एक रोडमपै और साफ़ रणनीति की अत्यधिक आवश्यकता है
ताकि पिछली मेहनत व्यर्थ ना हो।

भारत को आगेबढ़ना हैऔर हर आपदा की तरह इससेहुए नकु सान की भरपाई करनेकी योजना बनानी है। हमारे
बच्चों के भवि ष्य के लि ए शि क्षा को एक अवसर के साथ-साथ एक चुनौती के रूप मेंस्वीकार करना होगा। साथ
मि लकर हम नेताओंपर दबाव डाल सकतेहैंकि वो शि क्षा को और अगली पीढ़ी के भवि ष्य को बचाएं।
सेव द चि ल्ड्रने के बारे में सेव द चिल्ड्रने एक अतं रराष्ट्रीय एनजीओ हैजो दनिुनिया के 120 देशों मेंबच्चों की शि क्षा, स्वास्थ्य व सरुक्षा एवं

मानवीय ज़रूरतों के लि ए काम करती है, खासकर उनके लि ए जो सबसे ज़्यादा वचिंचित और हाशि येपर होते हैं।
भारत मेंसेव द चि ल्ड्रने 14 राज्यों मेंइन मुद्दो पर काम करती है।

Change.org के बारे में

Change.org, सामाजि क बदलाव के लि ए दनिुनिया का सबसेबड़ा टेक प्लेटफॉर्म है। 3.8 करोड़ भारतीय Change.org
का इस्तेमाल कर के अपने मद्दे पर  आवाज़ उठाते हैं। Change.org/hindi पर लोग हि न्दी भाषा मेंभी अपन पेटीशन शरूु कर सकतेहैं।

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