धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी को सलाह दी: ‘सदन की मर्यादा समझने के लिए ट्यूशन की जरूरत’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार (29 जुलाई) को लोकसभा में बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। इस दौरान उन्होंने बजट की "हलवा सेरेमनी" का पोस्टर भी दिखाया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार (29 जुलाई) को लोकसभा में बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। इस दौरान उन्होंने बजट की “हलवा सेरेमनी” का पोस्टर भी दिखाया। राहुल गांधी के इस प्रदर्शन को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने पोस्ट में लिखा, “नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान अपने भाषण के समय का इस्तेमाल नकारात्मक राजनीति के लिए किया है। कांग्रेस पार्टी की ओर से जानबूझकर बार-बार सदन की गरिमा को गिराने का प्रयास किया गया है।”
धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी को सदन की मर्यादा के बारे में सलाह देते हुए लिखा, “नेता प्रतिपक्ष के रूप में श्री राहुल गांधी को पहले सदन की मर्यादा और वक्तव्य देने के तरीकों की ट्यूशन लेने की आवश्यकता है। चुनावी सभाओं और संसद में भाषण देने में फर्क है, और आज राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस की अपरिपक्वता एक बार फिर उजागर हुई है।”
उन्होंने आगे लिखा, “सदन देशहित के मुद्दों पर चर्चा के लिए है। संसद की पवित्र गरिमा का मजाक उड़ाना निंदनीय है। नेता प्रतिपक्ष को सदन की नियमावली को समझकर उसके अनुसार आचरण करना चाहिए।”
धर्मेंद्र प्रधान ने इस पर भी टिप्पणी की कि विपक्ष अक्सर संविधान की फोटो दिखाता है, लेकिन उनका व्यवहार संविधान का सम्मान नहीं करता। उन्होंने कहा, “लोकसभा में राहुल गांधी द्वारा हलवा सेरेमनी की फोटो दिखाने की अपील की गई थी, जिसे लोकसभा स्पीकर ने अनुमति नहीं दी।”
धर्मेंद्र प्रधान ने अंत में लिखा, “चाहे वह दलितों की बात हो, गरीबों की बात हो, किसानों की बात हो, या मध्यम वर्गीय परिवारों की, कांग्रेस की इन मुद्दों पर क्या सोच है, देश भली-भांति जानता है। कांग्रेस ने देश को परिवारवाद, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और कुशासन के चक्रव्यूह में फंसाए रखा, जिससे देश को 2014 में माननीय प्रधानमंत्री ने मुक्त किया। मगर, ‘बालक बुद्धि’ का यही नुकसान है—पहले तो चीजें पढ़ी नहीं जातीं और फिर अगर पढ़ी भी जाती हैं, तो समझने में कठिनाई होती है।”