उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के जामिया हिंसा को लेकर किए गए ट्वीट के खिलाफ एफआईआर की मांग खारिज
नई दिल्ली। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के जामिया हिंसा को लेकर किए गए ट्वीट के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग खारिज कर दी है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोपी के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली है।
कोर्ट ने कहा कि अनिल कुमार बनाम एमके अयप्पा और एल नारायण स्वामी बनाम कर्नाटक राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकसेवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए आदेश देने के पहले सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेनी जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता ने सिसोदिया के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति नहीं ली है, ऐसे में एफआईआर दर्ज करने की मांग खारिज की जाती है।
इस मामले में पिछले 24 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने सिसोदिया को क्लीन चिट दे दी थी। दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल एक्शन टेकन रिपोर्ट में कहा था कि सिसोदिया की ओर से किए गए ट्वीट महज आरोप हैं और वो भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 153ए, 504 और 505 के तहत नहीं आता है।
कोर्ट ने पिछले 7 फरवरी को दिल्ली पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट तलब किया था। याचिका में कहा गया है कि सिसोदिया ने 15 दिसंबर 2019 को एक ट्वीट के जरिए फेक न्यूज़ फैलाने का काम किया है। याचिका में अलख आलोक श्रीवास्तव ने आरोप लगाया है कि सिसोदिया ने फेक न्यूज़ फैलाई थी कि जामिया हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस ने बस में आग लगाई थी । याचिका में कहा गया था कि नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद 15 दिसंबर 2019 को जामिया इलाके में विरोध के नाम पर हिंसा की गई। इस हिंसा से दिल्ली पुलिस ने संयम से निपटा।
याचिका में कहा गया था कि मनीष सिसोदिया ने 15 दिसंबर 2019 को शाम सात बजकर सात बजकर पर अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया कि चुनाव में हार के डर से भाजपा दिल्ली में आग लगवा रही है। आम आदमी पार्टी किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ है। ये भाजपा की घटिया राजनीति है। इस वीडियो में खुद देखें कि किस तरह पुलिस के संरक्षण में आग लगाई जा रही है।
याचिका में कहा गया था कि मनीष सिसोदिया उप-मुख्यमंत्री के जिम्मेदार पद पर हैं। उन्होंने जानबूझकर समाज में वैमनस्य पैदा करने के लिए ये ट्वीट किया। याचिका में मांग की गई थी कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 153ए, 504 और 505 के तहत एफआईआर दर्ज करने करने का आदेश दिया जाए।