30 साल बाद देवबंद विस्फोट का मास्टरमाइंड आतंकी मुस्तफा वानी गिरफ्तार
30 साल बाद, एटीएस को एक बड़ी सफलता मिली, जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से मुस्तफा वानी को गिरफ्तार किया।
30 साल बाद ; 1993 में उत्तर प्रदेश के देवबंद में हुए एक भीषण विस्फोट में कई पुलिसकर्मी और नागरिक घायल हुए थे। इस हमले में मुख्य आरोपी आतंकी नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा वानी उर्फ जावेद इकबाल था, जो 1994 में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद फरार हो गया था। तब से एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) और स्थानीय पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास कर रही थी। बुधवार को 30 साल बाद, एटीएस को एक बड़ी सफलता मिली, जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से मुस्तफा वानी को गिरफ्तार किया।
देवबंद विस्फोट और उसका असर
30 साल बाद ; 1993 में देवबंद के यूनियन चौराहे पर पुलिसकर्मियों पर किए गए इस हमले में मुस्तफा वानी ने हैंड ग्रेनेड फेंका था। इस हमले में दो पुलिसकर्मी और चार आम नागरिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। यह हमला स्थानीय पुलिस के लिए एक बड़ा झटका था, और इसके बाद इस मामले में वानी के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
वानी की गिरफ्तारी के बाद इस धमाके को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठन के खिलाफ भी सवाल उठे थे। सुरक्षा एजेंसियों का मानना था कि वानी और उसके जैसे अन्य आतंकवादी देवबंद और अन्य इलाकों में सक्रिय रहे थे, जो भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे थे।
गिरफ्तारी की प्रक्रिया: एटीएस की विशेष टीम की मेहनत
30 साल बाद ; मुस्तफा वानी की गिरफ्तारी एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है। एटीएस और स्थानीय पुलिस के लिए उसे पकड़ना बहुत चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि वह पिछले 30 वर्षों से फरार था और कई बार अपनी लोकेशन बदल चुका था। एटीएस की विशेष टीम ने लगातार खुफिया जानकारी जुटाई और विभिन्न सुरागों के आधार पर उसकी तलाश जारी रखी।
अंततः, श्रीनगर में छुपे हुए इस आतंकवादी का सुराग एटीएस को मिला। अधिकारियों के मुताबिक, वानी का पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों से संबंध था और वह देश में कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा था। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में उसकी मौजूदगी की जानकारी मिलने पर, एटीएस ने अपने अभियान को तेज कर दिया और मंगलवार को उसे गिरफ्तार करने में सफलता पाई।
गिरफ्तारी का महत्व: आतंकवाद विरोधी अभियान में बड़ी जीत
30 साल बाद ; इस गिरफ्तारी को आतंकवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है। मुस्तफा वानी की गिरफ्तारी के साथ ही 1993 के देवबंद विस्फोट मामले में एक बड़ी कड़ी को जोड़ा गया है, जो कई सालों से फरार था। अधिकारियों के अनुसार, वानी की गिरफ्तारी से न केवल इस पुराने मामले में न्याय मिलेगा, बल्कि आतंकवादी संगठनों के खिलाफ भी एक मजबूत संदेश जाएगा।
वानी के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों के आरोप हैं, और अब वह न्यायालय के समक्ष पेश होगा। एटीएस को उम्मीद है कि इस गिरफ्तारी के बाद वानी से और भी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हो सकती है, जिससे अन्य आतंकवादी नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके।
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न्याय की ओर एक कदम और
30 साल बाद ; मुस्तफा वानी की गिरफ्तारी ने साबित कर दिया है कि एटीएस और भारतीय सुरक्षा बल आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। यह गिरफ्तारी न केवल देवबंद विस्फोट के पीड़ितों के लिए न्याय की राह खोलती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आतंकवादियों के खिलाफ कोई भी अपराध अनसुलझा नहीं रहेगा। इस सफलता से यह उम्मीद भी जगी है कि ऐसे अन्य फरार आतंकवादियों की जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी, जो देश में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं।