देशभर में डॉक्टरों का प्रदर्शन, सरकार से कानून बनाने की कर रहे हैं मांग
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के लगभग 3.5 लाख डॉक्टर अपनी बिरादरी के सदस्यों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक केंद्रीय कानून की मांग को लेकर शुक्रवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. इसमें IMA के सदस्यों के अलावा, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया, द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया, मेडिकल स्टूडेंट्स नेटवर्क, जूनियर डॉक्टर नेटवर्क जैसे कई संगठनों ने विरोध में हिस्सा लिया.
डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरुद्ध केंद्रीय कानून की मांग पर दबाव बनाने के लिए बिहार और मध्य केरल में डॉक्टरों ने सुबह अपनी क्लीनिक को बंद रखा. इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए शाम को आईएमए की प्रत्येक शाखा में एक समन्वय टीम बनाने के लिए जन संवाद की व्यवस्था की गई है. आईएमए ने एक बयान में कहा, ‘डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखकर हम बहुत आहत हैं. यह दिन-ब-दिन हो रहा है. आईएमए हिंसा के खिलाफ कानून के लिए दबाव बना रहा है.’
तिरुवनंतपुरम में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की केरल विंग ने डॉक्टरों पर हो रहे हमले को लेकर सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.उसने कहा कि स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान का निषेध) विधेयक, 2019 गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया था जिसमें ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों पर हमले के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान था. मंत्रालय ने कहा था कि उक्त कानून संभव नहीं था क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है.
डॉक्टरों के निकाय ने कहा, पीसीपीएनडीटी अधिनियम और नैदानिक स्थापना अधिनियम जैसे कई केंद्रीय स्वास्थ्य कानून हैं. वर्तमान में, 21 राज्यों में स्थानीय कानून हैं, लेकिन हमें डॉक्टरों को हिंसा से बचाने के लिए एक मजबूत केंद्रीय कानून की आवश्यकता है.