ट्रम्प नामित जज एमी कूनी बैरेट की पुष्टि को लेकर तीसरे दिन भी डेमोक्रेट के तीखे सवाल
लॉस एंजेल्स। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नामित जज एमी कूनी बैरेट की सुप्रीम कोर्ट में पुष्टि को लेकर तीसरे दिन बुद्धवार को भी सीनेट की न्यायिक समिति के सम्मुख प्रतिपक्ष में डेमोक्रेट के तीखे सवाल जारी रहे। बैरेट ने सभी सवालों के नपेतुले जवाब में कहा कि उन्हें शतरंज का मोहरा समझना भूल होगी। वह संविधान की मर्यादाओं के अनुरूप हर मामले में अपना निर्भीक और स्वतंत्र विचार अभिव्यक्त करेंगी।
बैरेट की सुनवाई के तीसरे दिन 22 सीनेटरों ने दूसरे दौर की पूछताछ की। रिपब्लिकन सिनेटरों ने जहाँ बैरेट के पक्ष में विश्वास व्यक्त किया, वहीं डेमोक्रेट ने उन्हें अफ़ोर्डेबल केयर एक्ट, अनचाहे जीवन समर्थन आदि सवालों के घेरे में उलझाए रखा। बैरेट की पुष्टि के लिए सीनेट में रिपब्लिकन बहुमत का साथ है। गुरुवार को विशेषज्ञों की सुनवाई होगी और 22 अक्टूबर को समिति अपनी राय व्यक्त करेगी।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले महीने 87 वर्षीय उदारवादी न्यायमूर्ति रूथ बेडर गिन्सबर्ग के रिक्त हुए स्थान पर 48 वर्षीय बैरेट को नामित किया था। इनकी पुष्टि से ट्रम्प को अपने कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय में तीसरा नामांकित जज की नियुक्ति का श्रेय मिलना क़रीब-क़रीब तय है। इससे कोर्ट में रूढ़िवादी जजों में 6-3 से बहुमत हो जाएगा जो भविष्य में रिपब्लिकन को कानूनी पकड़ में बढ़ावा देगा।
डेमोक्रेट के लिए बैरेट की पुष्टि रोक पाना मुश्किल हो रहा है। डेमोक्रेट सिनेटरों ने बैरेट को ‘मतदान के अधिकार के मामलों’ और ‘अफोर्डेबल केयर एक्ट’ पर उनके पिछले बयानों पर लपेटने की भरसक कोशिश की लेकिन वह उनके किसी झाँसे में नहीं आईं। बैरेट ने राष्ट्रपति की संवैधानिक सीमाओं को लेकर भी घुमा-फिराकर सवाल किए। लिबरल सीनेटरों के सवालों में अफोर्डेबल केयर एक्ट जो ओबामा केयर नाम से मशहूर है, पर चुनाव मतदान से एक सप्ताह बाद 10 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।
बैरेट ने इस सवाल का सीधा जवाब देने की बजाए इतना कहा कि वह शतरंज का मोहरा नहीं बनेंगी। इस संबंध में वह संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह खुले दिमाग से सुप्रीम कोर्ट बेंच पर आसन लेंगी और किसी पूर्वाग्रह से बचेंगी। बैरेट ने कहा कि दिवंगत जस्टिस एंटोनिन स्कालिया के नेतृत्व में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। स्कालिया एक रूढ़िवादी जज रहे हैं जो डेमोक्रेट की न्यायिक विचारधारा के अनुकूल नहीं कहे जा सकते।