दिल्ली हिंसा : सामाजिक कार्यकर्ता खालिद सैफी को जमानत, अभी रिहाई नहीं
नई दिल्ली। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद कार्यकर्ता खालिद सैफी को जमानत दे दी है। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और सभी तथ्य कोर्ट और आरोपियों के पास आ चुके हैं, ऐसे में अब जांच से छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की संभावना नहीं है।
कोर्ट ने खालिद सैफी को पचास हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी। खालिद सैफी जमानत देने के बाद भी रिहा नहीं हो पाएगा क्योंकि उसके खिलाफ यूएपीए के खिलाफ लंबित केस में जमानत नहीं मिली है। सैफी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपी एक प्रतिष्ठित परिवार से आता है और वह एक बिजनेसमैन है और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है। उन्होंने कहा कि खालिद सैफी को झूठे तरीके से फंसाया गया है।
रेबेका जॉन ने कहा कि जो चार्जशीट दाखिल किया गया है वो काफी भ्रामक है। आरोपी के खिलाफ एक सामान्य आरोप है कि वो प्रदर्शनकारियों की उस भीड़ में शामिल था जिसने पुलिस पर हमला किया और पत्थरबाजी की। रेबेका जॉन ने कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं हैं जिससे पता चले कि उसने पुलिस या किसी दूसरे व्यक्ति के खिलाफ हिंसक बल का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ हत्या की कोशिश का कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि चार्जशीट में केवल एक एमएलसी दाखिल की गई है जिसमें एक सामान्य इंजरी की बात बताई गई है। उन्होंने कहा कि आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 भी लागू नहीं होती क्योंकि चार्जशीट में ऐसा कोई आरोप नहीं है।
दिल्ली पुलिस की ओर से वकील विकास कुमार ने खालिद सैफी की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने दूसरे सह-आरोपियों के साथ भीड़ को भड़काया और इलाका नहीं छोड़ने को कहा। आरोपी ने लोगों को पुलिस बल पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया जिसके बाद भीड़ ने पुलिस पर पत्थर बरसाए और गोलियां भी चलाई गईं। विकास कुमार ने कहा कि पत्थर चलाने की वजह से एक व्यक्ति घायल हुआ जिसे अस्पताल में भर्ती किया गया। उन्होंने कहा कि खालिद सैफी ने प्रदर्शन के लिए पैसे दिए और प्रदर्शन को हिंसक रुप में देने की साजिश रची। उसने कुछ लोगों के अवैध हथियार भी उपलब्ध कराए।