दिल्ली उपराज्यपाल ने दिल्ली में कोरोना मरीज़ों के लिए 5 दिन के अनिवार्य इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन के फैसले को लिया वापस
राजधानी दिल्ली में कोरोनावायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली सरकार ने पहले ही कह दिया है कि 31 जुलाई तक भारत में 5 लाख से ज्यादा कोरोनावायरस के मामले दर्ज किए जा सकते हैं। ऐसे में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में कोरोनावायरस की स्थिति पर कड़ी नजर जमा रखी। ऐसे में दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने फैसला लिया था कि दिल्ली में कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों को होम क्वॉरेंटाइन नहीं किया जाएगा। जिसका विरोध दिल्ली सरकार ने जमकर किया। सत्येंद्र जैन की गैर हाजिरी में मनीष सिसोदिया स्वास्थ्य मंत्रालय संभाल रहे हैं उन्होंने इस मामले पर कहा कि यह एक व्यवहारिक फैसला नहीं है। हालांकि अब दिल्ली उपराज्यपाल ने अपना यह फैसला वापस ले लिया है।
Regarding institutional isolation, only those COVID positive cases which do not require hospitalisation on clinical assessment & do not have adequate facilities for home isolation would be required to undergo institutional isolation.
— LG Delhi (@LtGovDelhi) June 20, 2020
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पांच दिन के संस्थागत क्वानरटीन का फैसला वापस ले लिया है। उपराज्यपाल ने कोरोनावायरस के पॉजिटिव मरीजों को हम क्वॉरेंटाइन करने पर रोक लगाई थी। उपराज्यपाल ने दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों को पहले पांच दिन अनिवार्य संस्थागत क्वारनटीन करने का आदेश दिया था। हालांकि अब उपराज्यपाल ने अपना ये फैसला वापल ले लिया है।
इस मुद्दे पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल से कहा है कि होम आइसोलेशन खत्म करने पर समस्याएं पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों और अन्य सरकारी इंतजामों में सिर्फ 6000 बेड उपलब्ध हैं। जबकि दिल्ली में अभी होम आइसोलेशन में 10000 लोग रह रहे हैं अब सवाल है कि इन्हें कहां रखा जाएगा?
ऐसे में अब दिल्ली सरकार के विरोध करने पर दिल्ली के उपराज्यपाल ने अपना फैसला वापस ले लिया है।