दिल्ली में बच्ची से गैंगरेप का मामला

आरोपी पहले भी दो बच्चियों के साथ कर चुका है जबर्दस्ती, उसका मामा रसूखदार है; धमकी देकर मामला रफा दफा कर देता है

छोटा सा घर एक गली और फिर कमरा, कमरे में ही रसोई। बगल में एक बेड पर बैठी बलात्कार का शिकार हुई नन्हीं सी बच्ची की दादी की आंखें बार-बार छलछला जाती हैं। वे कहती हैं, ‘बच्ची तो रोज की तरह बाहर खेल रही थी, सारा दिन बच्चे बाहर ही रहते हैं, इतने छोटे घर में घुटन होती है। हमें क्या पता था कि इंसान के रूप में बाहर दरिंदा घूम रहा है। भला इतनी छोटी बच्ची पर कौन गलत नजर डाल सकता है।’

वे फिर झल्लाकर कहती हैं कि पहले ही उसे सजा मिल गई होती तो वह दोबारा ऐसी हरकत ही नहीं करता। क्या वह ऐसी हरकत पहले भी कर चुका है? जवाब बगल में खड़ी बच्ची की बुआ देती हैं, ‘हां तकरीबन डेढ़ साल के भीतर दो बच्चियों के साथ उसने जबर्दस्ती करने की कोशिश की। एक 11 साल की तो दूसरी 9 साल की। इस बात का सपोर्ट पड़ोस की नीता भी करती है।

वे कहती हैं, ‘इस लड़के के मामा रसूखदार हैं। इसलिए इलाके में पंचायत बैठाकर, बच्चियों के घर वालों धमका कर और कुछ ले देकर मामला रफा दफा कर दिया। यह तो पहली बार इस बच्ची के घर वालों ने हिम्मत की। अगर पहले ही ऐसी हिम्मत दिखाई गई होती तो यह बच्ची बच जाती।’ इस बात की पुष्टि एक नहीं आस-पड़ोस के कई लोग करते हैं।

वहां मौजूद शबा कहती हैं, ‘पुलिस का रवैया ऐसा है कि कोई उसके पास जाना नहीं चाहता। परिवार और बच्ची की इज्जत का हवाला देकर कई बार मोहल्ले के लोग ही ऐसी घटनाओं को दबाने का सुझाव देकर सब रफा दफा करवा देते हैं। फिर एक दिन ऐसी ही कोई बच्ची उस दरिंदे के जाल मे फंस जाती है।’

क्या पूरी जिंदगी मेरी बच्ची भूल पाएगी यह जख्म?

बच्ची की मां इस वक्त अपनी बेटी के साथ AIIMS में है। दरअसल, बच्ची को घटना के बाद पहले एलबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन जब उसकी हालत गंभीर हो गई तो उसे AIIMS में रेफर किया गया। फोन पर बात करने पर बच्ची की मां ने बताया, ‘बच्ची अब पहले से ठीक है और उसे अब भूख भी लगी है। फोन पर बस उसका इतना ही कहना था कि हमे न्याय चाहिए। क्या यह जख्म मेरी बच्ची पूरी जिंदगी भूल पाएगी? क्या समाज उसे सबकुछ याद नहीं दिलाएगा? दोनों लड़कों को ऐसी सजा मिले कि दोबारा कोई और ऐसा करने की भी न सोचे।’

फ्रॉक को हाथों में बटोरे, पैरों से टपकते खून के साथ बच्ची पहुंची घर

पीड़िता के परिवारवाले और पड़ोसी पुलिस के रवैये को लेकर नाराज है। उनका कहना है कि आरोपी को सख्त सजा मिलनी चाहिए।

बच्ची की बुआ कहती हैं, ‘बच्ची की दादी अपने हाथ का प्लास्टर चढ़वाने अस्पताल गई थीं। साथ में बच्ची के दादा भी थे। मैं ऊपर वाले फ्लोर में रहती हूं। बच्ची की ताई और ताऊ नीचे वाले फ्लोर में रहते हैं, लेकिन वे भी कुछ काम से बाहर गए थे। बच्ची बाहर खेल रही थी। तकरीबन दोपहर 2.30 बजे बच्ची फ्रॉक को हाथ से बटोरे मेरे पास ऊपर आई। उसके पैरों में खून बह रहा था। फ्रॉक खून से लतपथ थी। उसे देखकर मुझे लगा कि उसका कोई एक्सीडेंट हुआ या वह गिर पड़ी है।’

‘मैंने उससे पूछा बेटा क्या हुआ? उसने कहा, बुआ चोट लग गई। मैं उसके पैरों से टपक रहे खून को साफ कर रही थी। बच्ची ने कहा बहुत दर्द हो रहा है, बुआ। मैंने कहा कहां, उसने इशारे से बताया यहां…। मैंने देखा तो मैं हक्की बक्की रह गई। मैंने उससे फिर प्यार से पूछा बेटा कोई अंकल तुम्हें ले गए थे क्या? उसने कहा,नहीं, चोट लगी है।’

आरोपी ने कहा था, मुंह खोला तो मम्मी-पापा को जान से मार दूंगा

बुआ ने कहा, ‘बेटा डरो नहीं बताओ। तो लिपटकर रोने लगी। बगल वाले अंकल और उनके साथ एक और अंकल मुझे दुकान के ऊपर ले गए थे। उन्होंने कहा था ऊपर चिज्जी मिलेगी, लेकिन वहां उन्होंने मेरे चोट मारी। मुझे दर्द भी हो रहा था। मैंने कहा भी अंकल चोट लग रही है तो उन्होंने मुझे मारा और धमकी दी कि किसी को बताया तो तुम्हारे मम्मी पापा को मार दूंगा।’ बच्ची इतनी डरी हुई थी कि उसने कहा, ‘आप यह सब किसी को मत कहना।’

बच्ची के 3 साल के भाई ने कहा, दीदी को जिसने चोट मारी मैं उसे जान से मार दूंगा

नन्हीं सी बच्ची के दो भाई हैं। एक 9 साल का तो दूसरा 3 साल का। बड़ा भाई मां के साथ अस्पताल गाय था, तो छोटा भाई लगातार घर में लगने वाली भीड़ से सहमा हुआ था। काफी देर बात करने के बाद एक भी शब्द उसने नहीं बोला, लेकिन जैसे ही दैनिक भास्कर की रिपोर्टर ने दूसरे की तरफ मुड़कर पूछताछ शुरू की। पीछे से एक पतली सी आवाज आई। ‘दीदी को जिसने चोट लगाई है मैं उसे जान से मार दूंगा।’ बगल में बैठे दादा ने कहा, ‘जब से बच्ची अस्पताल गई है, तब से जिद कर रहा है कि दीदी के पास जाऊंगा। उसको चोट लगी है। दीदी रो रही होगी। मम्मी भी रो रही थीं।’

पीड़िता की दादी कहती हैं कि आरोपी को अगर पहले सजा मिल गई होती तो वह फिर से ऐसी हरकत नहीं करता।

चोरी के आरोप में बच्ची का पिता जेल में बंद, मां घरों में झाड़ू पोछा कर करती है गुजारा

बच्ची का पिता गिरीश (बदला हुआ नाम) पिछले तकरीबन साढ़े छह महीने से जेल में बंद है। उस पर एक दो पहिया वाहन चुराने का आरोप है। हालांकि गिरीश की मां, यानी बच्ची की दादी कहती हैं कि उसे वह गाड़ी किसी पुलिस वाले ने खरीदवाई थी, लेकिन बाद में उसी पर चोरी का इल्जाम लगा दिया। 26 जनवरी को उसे घर से उठा लिया। उसे जेल में कोरोना भी हुआ था। कोई इलाज नहीं कराया गया। भगवान की कृपा थी कि वह बच गया। उसकी हालत खराब है। जेल से पुलिस का फोन कई बार आ चुका। हर बार वे कहते हैं, ‘अपने बेटे को क्या मरने के बाद लेने आओगे? उसकी हालत ठीक नहीं है। जमानत कराओ और घर ले जाओ। नहीं तो वह मर जाएगा।’

दादी कहती हैं कि हमने दो जमानत करीब 30 हजार रुपए में करवा ली। एक गाजियाबाद से और एक कड़कड़डूमा से, लेकिन अभी दो और जमानत करवानी हैं। कहां से लाएं पैसा? मैं घर में झाड़ू पोछा करती हूं। गिरीश की पत्नी भी घरों में काम करती है। वह तीन बच्चों का पेट भरे या गिरीश को बाहर निकलवाए। वह बाहर था तो शादी ब्याह में वेटर का काम करता था। कुछ तो मदद हो ही जाती थी। बच्ची के रेप के बारे में उसे अभी कुछ नहीं पता, उसे पता चलेगा तो सर पीट-पीटकर जान दे देगा।

पड़ोस के दो घर छोड़कर तीसरा घर है आरोपी का

बलात्कार का शिकार हुई बच्ची के घर की गली में तीसरा घर आरोपी का है। आरोपी ने इस घटना को अपने पड़ोस के एक घर की छत पर अंजाम दिया। दरअसल, वारदात को जहां अंजाम दिया गया उस घर के मालिक के साथ लड़के के ठीक-ठाक संबंध है। आरोपी दक्षिण भारतीय मूल का है। पड़ोसियों ने बताया कि उसका घर मद्रास में है। वह तमिल है।

ये तस्वीर आरोपी के घर की है। आरोपी ने इस घटना को अपने पड़ोस के एक घर की छत पर अंजाम दिया है।

सवालों के घेरे में पुलिस का रवैया

बच्ची की बुआ ने बताया, ‘हमने तुरंत पहले बच्ची की मां और फिर मयूर विहार थाने में पुलिस को कॉल किया। आधे घंटे बाद पुलिस आई, लेकिन पुलिस के भीतर कोई संवेदनशीलता नहीं थी। बच्ची से एक ही सवाल दस बार किया गया। कितने लोग थे? बच्ची हर बार कहती दो लोग, तो वे एक उंगली दिखाकर कहते- दो इसे कहते हैं न। बच्ची फिर उंगली दिखाकर कहती नहीं दो लोग थे।’

‘पुलिस साबित करने में लगी थी कि बच्ची को दो नहीं बल्कि एक व्यक्ति ही ले गया था। जब मीडिया और आस पड़ोस के लोग जुटे तो बच्ची की छोटी बुआ, बच्ची की मां और बच्ची को गाड़ी में बैठाकर ले गए। पुलिस जबर्दस्ती दुपट्टे से उन सबका मुंह ढक रही थी, मानों उन सबने कोई गलत काम किया हो।’

‘उसके बाद पुलिस स्टेशन पहुंचने से पहले 2 घंटे तक हमें गाड़ी में यूं ही घुमाती रही। उन्होंने पहले एक होटल में खाना खाया। फिर इधर-उधर रुकते -रुकाते पुलिस स्टेशन पहुंची। ऐसा लग रहा था कि कुछ हुआ ही नहीं। बच्ची या परिवार वालों को फोन पर किसी से बात नहीं करने दे रहे थे। शाम के करीब 4.15 के बीच हम थाने पहुंचे होंगे। 8-9 रात बजे तक कुछ नहीं हुआ, लेकिन जब कुछ पॉलिटिकल लोगों ने दबाव बनाया तब रिपोर्ट लिखी गई।’

पुलिस ने अब तक क्या किया?

आरोपी दक्षिण भारतीय मूल का है। बलात्कार का शिकार हुई बच्ची के घर की गली में तीसरा घर आरोपी का है।

34 साल के ‘वार्तिक’ को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 AB ( 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार का अपराध), बच्चों के यौन अपराधों के खिलाफ बने पोक्सो अधिनियम की धारा 6 और SC ST एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मुख्य आरोपी गिरफ्तार भी कर लिया गया है, लेकिन परिवार वालों ने जिस दूसरे आरोपी का जिक्र किया है पुलिस ने फिलहाल अभी उसे हिरासत में नहीं लिया है। नार्थ ईस्ट DCP प्रियंका कश्यप ने कहा, ‘हम आरोपी से पूछताछ कर रहे हैं। मेडिकल रिपोर्ट के बाद आगे कार्रवाई होगी।’

पड़ोसियों ने कहा, अगर पुलिस उसे फांसी नहीं दे पाई और वह मोहल्ले में आया तो हम उसकी जान ले लेंगे

पड़ोसियों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वहां की स्थानीय निवासी मिथिला कहती हैं, ‘इतनी छोटी बच्ची के साथ ऐसा कोई कैसे कर सकता है। यह सुनकर मेरी तो छाती फटी जा रही है। अगर उसे पुलिस ने छोड़ दिया तो हम उसे जिंदा नहीं रहने देंगे। साथ में खड़ी शबा कहती हैं, ‘उसे मारना नहीं चाहिए। जिंदा रखना चाहिए। बस पैर-हाथ काट कर फेक देने चाहिए।’

बच्ची की दादी कहती हैं, ‘फांसी से कम कुछ भी कबूल नहीं।’ तो पड़ोस में खड़ी एक औरत कहती है, ‘जब भी किसी जवान लड़की का रेप होता है तो उसके कपड़ों और उसे टाइम-बेटाइम घर से निकलने को दोष दिया जाता है। पर यह बच्ची तो दोपहर में घर से बाहर खेल रही थी। इतनी छोटी थी कि कपड़ों को दोष दिया ही नहीं जा सकता।’

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