दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवार को शर्तों पर जमानत|
एक एक कर आप के सभी नेता जेल से बाहर आए| केजरीवाल जेल से तो बाहर आए लेकिन नहीं जा सकेंगे दफ्तर|
दिल्ली को मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मिखिया अरविंद केजरीवाल को शर्तों पर सही लेकिन जमानत मिल गई है। दिल्ली शराब नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले 35 दिन में ऐसे चौथे आप नेता हैं, जो जेल से छूटे हैं। मनीष सिसिसोदिया, के. कविता, विजय नायर इस मामले में पहली ही जमानत पर हैं। इन नेताओं को राहत दिलाने में इनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अहम भूमिका निभाई है। जमानत का विरोध कर रही सीबीआई की दलीलें सिंघवी की दलीलें टिक नहीं सकी। शुक्रवार को केजरीवाल को जमानत दिलाने में सिंघवी की एक दलील दमदार थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी माना।
सुप्रीम कोर्ट में बहस करते हुए केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआई के काम के तरीके पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को दिल्ली के राउज ऐवन्यू कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी ये क्यों नींद से जागे। कोर्ट में सिंघवी की दलील थी कि सीबाई ने केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर अगस्त 2022 में की थी। केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई तब सक्रिय हुई जब उनको लोअर कोर्ट से जमानत मिली। हाई कोर्ट ने हालांकि, उनकी जमानत पर रोक लगाई। इसके बाद सीबीआई जेल से केजरीवाल को कोर्ट लाई और उन्हें गिरफ्तार किया।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और सीबीआई, दोनों मामलों में अभी तक केजरीवाल की गिरफ्तारी को गलत नहीं माना है। कोर्ट ने सीबीआई को काम के तरीके को लेकर जरूर सवाल उठाया है। पांच महीने के बाद दिल्ली शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दी है. सिंघवी ने इस दौरान सीबीआई के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जांच में सहयोग करने का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि आरोपी खुद को दोषी ठहराए और अपराधों को कबूल करे।
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली शराब नीति मामले में कई आरोपियों को जमानत दे चुकी। ऐसे में पूरी संभावना थी कि अरविंद केजरीवाल को भी जमानत मिल जाए और हुआ भी ऐसा ही। मामले की सुनवाई के दौरान सिंघवी ने दलील दी, सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को एफआईआर दायर होने के बाद दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी रिहाई को रोकने के लिए जल्दबाजी में ‘बीमा गिरफ्तारी’ की। उन्होंने कहा था कि सीबीआई ने केजरीवाल को ‘उनके असहयोग और टालमटोल वाले जवाब’ के लिए गिरफ्तार किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं, जिनमें कहा गया है कि जांच में सहयोग करने का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि आरोपी खुद को दोषी ठहराए और कथित अपराधों को कबूल करे। सिंघवी ने कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन संवैधानिक पदाधिकारी केजरीवाल ने जमानत देने के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा किया है। उनके भागने का खतरा नहीं है, वह जांच एजेंसी के सवालों का जवाब देने के लिए आएंगे और दो साल बाद लाखों पन्नों के दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति मामले से जुड़े कथित घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उन्हें 10-10 लाख रुपए के दो मुचलके जमा करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी करने पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुकदमे में केजरीवाल सहयोग करें। केजरीवाल को सीबीआई वाले केस में भी जमानत पहले ही मिल चुकी है।