केजरीवाल ने लांच किया ‘देश के मेंटर” प्रोग्राम, बच्चों का करियर संवारने में मिलेगी मदद

नेशनल डेस्क: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को त्यागराज स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ‘देश के मेंटर’ प्रोग्राम को लांच किया जिसके जरिए 9वीं से 12वीं के बच्चों को अपना करियर संवारने में मेंटर्स की मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चाहते हैं कि 9वीं के बाद बच्चे को एक ऐसा बड़ा भाई, दोस्त या बहन मिले, जिसके साथ वह सब कुछ साझा कर सके। दिल्ली के बच्चों के मेंटर केवल दिल्ली के लोग ही नहीं बनेंगे, बल्कि पूरे देश से लोग मेंटर बनेंगे। देश के किसी भी हिस्से में रहने वाला व्यक्ति दिल्ली सरकार के एप पर पंजीकरण कर मेंटर बन सकता है। उन्होंने कहा कि अगर आपकी मेहनत से एक बच्चा अपने सपनों को पूरा करता है, तो यह आप राष्ट्र निर्माण का सबसे बड़ा काम कर रहे हैं।

जब पूरे देश से लोग आकर बच्चों को मेंटर करेंगे, तो हमारा पूरा देश एक परिवार बन जाएगा और धर्म-जाति की सारी दीवारें टूट जाएंगी। एक भारतीय दूसरे भारतीय से जुड़ेगा और हम सब लोग एक परिवार और एक टीम की तरह भारत को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अछ्वुत हो रहा है। हमारे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कुल 16 लाख बच्चे पढ़ा करते थे। कई सालों से यह आंकड़ा लगभग बराबर रहता था। हर साल कुछ बच्चे आते थे और कुछ बच्चे पास आउट होकर चले जाते थे। लेकिन इस साल इन स्कूलों में 18 लाख 70 हजार बच्चे हो गए हैं। इस साल दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों से दो लाख 70 हजार बच्चे अपने नाम कटाकर सरकारी स्कूलों में भर्ती हुए हैं। यह अछ्वुत और शानदार है।

अभी तक आजाद भारत के इतिहास में हमने यह तो सुना था कि यहां इतने सरकारी स्कूल बंद हो गए, इस राज्य में इतने सरकारी स्कूलों के बच्चे कम हो गए, लेकिन प्राइवेट स्कूलों से दो लाख 70 हजार बच्चे अपने नाम कटवा कर अगर सरकारी स्कूलों आए, तो यह अछ्वुत ही है। इसके लिए सभी शिक्षक, सभी बच्चों और उनके अभिभावकों को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं। श्री केजरीवाल ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले हमने देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू किया। पूरे देश के लोग पूछ रहे कि यह देशभक्ति पाठ्यक्रम क्या होता है? क्या देशभक्ति सिखाई जा सकती है? सारा देश कौतूहलवश देख रहा है।

दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अंदर हमने हैप्पीनेस करिकुलम शुरू किया। तो लोग पूछ रहे है कि बच्चों को हैप्पीनेस भी दी जा सकती है क्या? लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जब भारत आए थे, तो उनकी पत्नी दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों में हमारी हैप्पीनेस क्लास अटेंड करने के लिए आई थीं। हमारे शिक्षकों के काम की महक अमेरिका के राष्ट्रपति के घर तक पहुंच गई है। एंटरप्रिंयोरशिप क्लासेज चल रही हैं। बच्चों को एंटरप्रन्िंयोर बनना, बिजनेसमैन बनना सिखाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे स्कूलों में शिक्षा का काम तीन चीजों के लिए बच्चों को तैयार करने का होता है। पहला, स्कूल या कॉलेज से पास आउट हो जाने के बाद वह अपना पेट पालने लायक तैयार हो, अपने घर का पालन-पोषण कर सके।

आज हमारे शिक्षा जगत की सबसे बड़ी समस्या है कि हम बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर में नौकरी के लिए घूमते रहते हैं और नौकरी नहीं मिलती है। हम अपने बच्चों को तैयार कर रहे हैं कि नौकरी ढूंढने वाले नहीं बनना है, बल्कि नौकरी देने वाले बनना है। अपना धंधा, अपना बिजनेस शुरू करेंगे और हम लोगों को नौकरी देंगे। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अंदर यह शिक्षा नौवीं क्लास से शुरू हो जाती है। हमारा दूसरा उद्देश्य है कि हमें बच्चों को अच्छा इंसान बनाना है। हैप्पीनेस क्लास के अंदर बच्चों से मेडिटेशन करवाई जाती है। अच्छी अच्छी बातें बताई जाती हैं। रोज 45 मिनट से एक घंटे का क्लास होती है। हैप्पीनेस क्लास की मदद से बच्चों को अच्छा इंसान बनना सिखाया जा रहा है। तीसरा उद्देश्य बच्चे को अच्छा नागरिक बनाना है। जो भी बच्चा स्कूल से निकले, वह देश के लिए अच्छा नागरिक हो। देशभक्ति क्लासेज उनको एक अच्छा नागरिक बनाएंगी और उनको कट्टर देशभक्त बनाएंगी।

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