डीसीपीसीआर ने बेसहारा बच्चों के लिए हेल्पलाइन नंबर शुरू किया
नयी दिल्ली, कोरोना काल में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों की सहायता और उनकी आवश्यताओं को पूरा करने के लिए दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने हेल्पलाइन नंबर (9311551393) शुरू किया है।
डीसीपीसीआर के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने शुक्रवार को कहा कि कई बच्चे माता-पिता को खो चुके हैं और कई बच्चों के अभिभावक अस्पातलों में भर्ती हैं। ऐसे बच्चों की आवश्यक जरुरतों और समस्याओं को दूर करने के लिए डीसीपीसीआर ने हेल्पलाइन नंबर 9311551393 शुरू किया है। ऐसे बच्चों पर नजदीक से नजर रखें और हेल्पलाइन के जरिए 24 घंटे मदद सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में बच्चे सबसे कमजोर होते हैं, क्योंकि वे दूसरों पर निर्भर होते हैं। हेल्पलाइन के जरिए ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिनमें बच्चे अभिभावकों को खो चुके हैं और उन्हें तत्काल देखभाल की आवश्यकता है। आयोग ऐसे सभी मामलों को 24 घंटे से कम समय में हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।हेल्पलाइन के जरिए आने वाले सभी तात्कालिक फोन पर डीसीपीसीआर 24 घंटे के अंदर मदद करता है। बच्चों के लिए दवाइयां, भोजन, आश्रय, कपड़े आदि आवश्यक जरुरतों की आपूर्ति की जाती है। हेल्पलाइन के जरिए डीसीपीसीआर के संज्ञान में कई मामले आए हैं जिनमें कोविड-19 के कारण बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है। दूसरे अन्य मामलों में बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है, जबकि दूसरा अस्पताल में भर्ती है। ऐसे हालात बच्चों को कमजोर कर देते हैं और डरावनी स्थिति पैदा हो जाती है।
कुंडू ने कहा कि आयोग को एक मामला मिला जिसमें दोनों बच्चों ने एक ही दिन में अपने माता-पिता को खो दिया था। इसके बाद आयोग ने गैर सरकारी संगठन की मदद से बच्चों के साथ बातचीत करके काउंसलिंग की। रिश्तेदार और पड़ोसी अब बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। आयोग रोज़ उनकी जानकारी ले रहा है। जबकि एक अन्य मामले में कोविड 19 की वजह से दो बच्चों ने अपने पिता को खो दिया और बच्चों के पास आश्रय का कोई स्थान नहीं था। बच्चों को नहीं पता था कि अब आगे क्या करना है। आयोग ने उनके पिता का दाह संस्कार करवाया। इसके अलावा रिश्तेदारों के पहुंचने से पहले उन्हें चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवायी। इसके अलावा आयोग ने दोनों बच्चों की कोविड जांच भी सुनिश्चित की।
ऐसी स्थितियों का बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए ऐसी स्थितियों में बच्चों की चिंता, अकेलेपन को दूर करने के लिए एक पैनल गठित किया जा रहा है।