क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से पहले सावधान:देश में क्रिप्टो फर्जीवाड़ा जोरों पर,
बीते 6 माह में दो लाख से ज्यादा खाते ब्लॉक
क्रिप्टोकरेंसी को भले भारत में अभी तक मान्यता न मिली हो, लेकिन निवेशक के साथ-साथ आर्थिक अपराधी इसमें खासी रुचि दिखा रहे हैं। यही कारण है कि बीते छह माह में 4 लाख से अधिक क्रिप्टो अकाउंट को ब्लॉक करना पड़ा है। टैक्स चोरी, फ्राड और आपराधिक गतिविधियों के संदिग्ध मामले सामने आने के बाद देश के टॉप-3 क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों ने यह कार्रवाई की है। इनमें वजीरएक्स, कॉइनस्विच कुबेर और कॉइन डीसीएक्स तीनों बड़े एक्सचेंज शामिल हैं।
कॉइनस्विच कुबेर ने 1.80 लाख अकाउंट सस्पेंड किए
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कॉइनस्विच कुबेर ने अप्रैल-सितंबर के दौरान सबसे अधिक 1.80 लाख अकाउंट सस्पेंड किए हैं। इसके अलावा एक्सचेंज करीब 2 लाख ऐसे क्रिप्टो अकाउंट की दैनिक निगरानी भी कर रहा है, जिन पर उसे फर्जी होने का शक है। वहीं, एक अन्य क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स भी भारतीय और विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से अनुरोध मिलने के बाद 14,469 क्रिप्टो अकाउंट ब्लॉक कर चुका है।
इनमें विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से मिले 38 अनुरोध शामिल हैं। ये अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड और जर्मनी से मिले है। लेकिन ब्लॉक किए गए 90% से ज्यादा क्रिप्टो अकाउंट ऐसे हैं जिन पर अन्य यूजर्स शिकायत मिलने और एक्सचेंज के इंटरनल ट्रैकिंग तंत्र के पकड़ में आने पर रोक लगाई गई है। वजीरएक्स को हाल में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
यह नोटिस क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े 2,790 करोड़ के लेनदेन में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के कथित उल्लंघन के आरोप में जारी किया था। इसके बाद निदेशालय ने कहा था कि उसने चीन के स्वामित्व वाले अवैध बेटिंग एप में मनीलॉन्ड्रिंग की चल रही जांच के आधार पर यह जांच शुरू की है।
रेगुलेशन के अभाव बना परेशानी
विशेषज्ञों के मुताबिक,एक्सचेंज अपने स्तर पर संदिग्ध अकाउंट ब्लॉक कर रहे हैं, लेकिन असल मुद्दा इस विषय में रेगुलेशन के अभाव का है। क्रिप्टोकरेंसी मार्केट का एक बड़ा हिस्सा अन-रेगुलेटेड है। भरतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने के संबंध में अपनी आपत्ति पहले जता चुका है। केंद्र सरकार को इस मसले पर रुख स्पष्ट करना बाकी है।
लोग क्रिप्टो खरीदकर अज्ञात पते पर भेज रहे
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक नियामकों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग एक प्लेटफॉर्म पर बिटकॉइन खरीदते हैं और इसे अज्ञात पते पर भेजते हैं। कोई भी इसे ट्रैक नहीं कर पा रहा है कि ये पते किसके हैं और इन पतों का इरादा क्या है। यहां तक कि क्रिप्टो एक्सचेंज भी इसे ट्रैक नहीं कर पा रहे हैं।
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