क्रूड ऑयल की एक बार फिर से बढीं कीमतें, महंगे होने सकतें हैं पेट्रोल व डीजल के दाम
क्रूड ऑयल की कीमतें 114 डॉलर के पार, रुला सकती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें
लखनऊ: महंगाई की मार एक बार फिर लोगों के पसीने छुड़ा रही है. इन दिनों इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दामों में काफी उछाल देखने को मिली हैं. यूरोपीय संघ ने रूस पर नए प्रतिबंध लगा दिए जिससे क्रूड की सप्लाई पर असर पड़ा है. वहीं दूसरी तरफ, कोरोना संक्रमण कम होने से चीन के शंघाई शहर में औद्योगिक गतिविधियां दोबारा शुरू होने की उम्मीद है, जिससे मांग बढ़ जाएगी. क्रूड ऑयल ही नहीं नेचुरल गैस की कीमतें भी आसमान पर जा रही हैं. ग्लोबल मार्केट में इसका रेट अभी 14 साल में सबसे ज्यादा है.
ओपेक के कम उत्पादन से बढ़ीं मुश्किलें
ब्रेंट क्रूड का दाम एक बार फिर ऊपर चढ़ना शुरू हो गया है. सोमवार को ब्रेंट क्रूड 111 डॉलर प्रति बैरल के भाव था, जो आज बढ़कर 114 डॉलर पहुंच गया. तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने तय लक्ष्य से उत्पादन को जारी रखा है, जबकि यूरोपीय संघ की तरफ से रूस पर नए प्रतिबंध लागू करने से सप्लाई और बाधित हो गई. लीबिया में भी क्रूड ऑयल का उत्पादन घट गया है, जबकि चीन दोबारा अपने बाजार खोल रहा जिससे खपत औए बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसे में पूरी गुंजाइश है घरेलू बाजार में भी पेट्रोल-डीजल के दाम दोबारा बढ़ने शुरू हो सकते हैं.
सीएनजी-पीएनजी और रुलाएगी
ग्लोबल मार्केट में प्राकृतिक गैस के दाम 8 डॉलर तक पहुंच गए हैं, जो 14 साल का सबसे ऊंचा भाव है. प्राकृतिक गैस की कीमतों में लगातार दूसरे महीने भी तेजी जारी है. अप्रैल में अब तक इसका भाव 38 फीसदी चढ़ा है. वहीं दूसरी तरफ, भंडार में कमी आ रही. अमेरिका में नेचुरल गैस का भंडार 3 साल के निचले स्तर पर चला गया है, जबकि निर्यात 13 फीसदी बढ़ा है.
गेहूं समेत अन्य कमोडिटी में भी उछाल
एग्री कमोडिटी के भाव देखें तो गेहूं की कीमतें 4 हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. ग्लोबल मार्केट में गेहूं का भाव 1,130 डॉलर प्रति टन पहुंच गया है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अप्रैल में गेहूं 12.50 फीसदी महंगा हो चुका है. मक्के ने तो 10 साल की ऊंचाई छू लिया और उसका भाव 820 डॉलर के करीब पहुंच गया है.
युद्ध संकट की वजह से काला सागर के जरिए निर्यात पूरी तरह रुक गया है, जबकि सप्लाई घटने व मांग बढ़ने से कीमतें लगातार ऊपर जा रही हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार उत्तरी अमेरिका में सूखा पड़ने की आशंका है, जिससे एग्री कमोडिटी के दाम बढ़ रहे हैं.