CRPF, मानसिक रूप से परेशान जवानों को मिलेगी बिना हथियार वाली तैनाती
छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को सीआरपीएफ में हुई घटना के बाद एक बार फिर जवानों के मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा चर्चा में है। एक बार फिर उस प्रस्ताव पर अमल की बात हो रही है जिसमे किसी वजह से मानसिक परेशानी या तनाव का सामना कर रहे लोगों को चिन्हित कर उन्हें बिना हथियार या गोला बारूद के आसान तैनाती दिए जाने और उनकी काउंसलिंग पर जोर है। जवानों से सतत संवाद के लिए चौपाल करने को भी कहा गया है। सूत्रों ने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव है कि किसी जवान में असामान्य व्यवहार देखने और उसपर सतत नजर रखने के बाद उसकी पुष्टि होने के बाद ऐसे जवान की बगैर गोला-बारूद की तैनाती को लेकर प्रशासनिक निर्णय लेने की जरूरत है।
कई स्तरों पर प्रयास
जवानों का तनाव कम करने की कवायद कई स्तरों पर चल रही है। लेकिन अर्धसैन्य बलों में आत्महत्या और साथी जवानों पर हमले के कई मामले लगातार सामने आए हैं। नए फरमान के तहत तय किया गया है कि वरिष्ठ अधिकारी जवानों के साथ अनौपचारिक रूप से बातचीत करेंगे। बीते दिनों सीआरपीएफ डीजी कुलदीप सिंह ने बलों से गांव की तरह बैठक आयोजित करने के लिए कहा है।
मानसिक तनाव की वजह से बढ़ी घटनाएं
वर्ष 2020 से लेकर इस साल 13 सितंबर तक सीआरपीएफ में आत्महत्या के 101 मामले दर्ज किए गए। यह संख्या 2017, 2018, 2019 को मिलाकर 116 मामलों की तुलना में चौंकाने वाली हैं। वर्ष 2020 में सीआरपीएफ में आत्महत्या के 60 मामले थे। जबकि, इस साल 41 ने खुदकुशी की। वर्ष 2018 और 2019 में यह आंकड़ा क्रमश: 36 और 42 था। ज्यादातर मामलों में आत्महत्या या साथियों पर हमले की वजह घरेलू या अन्य वजहों से मानसिक तनाव बताया जाता है।
तनाव कम करने की कवायद
जवानों का तनाव कम करने के लिए उन्हें जरूरी छुट्टी देने, समय-समय पर कठोर पोस्टिंग में बदलाव के अलावा उन्हें योग आदि से जोड़ने की बात की जाती रही है। छुट्टी को लेकर जवानों का संतुष्टि स्तर काफी कम रहा है। नई कवायद ‘चौपाल के तहत सभी यूनिट के वरिष्ठ अधिकारी जूनियर्स के साथ बातचीत करेंगे। बातचीत के लिए समूहों को छोटा रखा जाएगा। जवानों से वरिष्ठ अधिकारी 1-2 घंटे लंबी बातचीत करेंगे। एक समूह में 18-20 जवान शामिल होंगे। बैठक के दौरान जवानों के निजी जीवन पर प्राथमिक रूप से चर्चा की जाएगी। बातचीत की गोपनीयता बनाई रखी जानी चाहिए।
शांत रहने वाले या परेशान जवानों पर नजर
सुरक्षाबलों में उन जवानों पर खास ध्यान देने की बात कही गई है, जो परेशान हैं या शांत रहने वाले हैं। एक अन्य पत्र में सीआरपीएफ ने कहा है कि बटालियन कमांडर्स को उन जवानों की पहचान करनी चाहिए, जो अलग-अलग कारणों के चलते अवसाद में हैं।