माघ महीने में किया गया गौ दान, जानिए आपको कैसे पहुंचाएगा लाभ

प्रयागराज, अमृत से सिंचित और ब्रह्मदेव के यज्ञ से पवित्र तीर्थराज प्रयाग में आस्था और विश्वास के माघ मेला में त्रिविध ताप-पाप नाशिनी गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी तट पर किया गया गौ दान अक्षय फलदायी माना गया है।


तीर्थराज प्रयाग के माघ महीने में स्नान और दान का विशेष महत्व है। जब इस धरा पर कुंभ, अर्ध कुंभ और माघ का महीना हो तो दान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। राजा हर्षवर्धन के काल में यहां पर 84 प्रकार के दान की बात कही जाती है, जिसके 84 योनियों से मुक्ति की कामना जुड़ी हुई थी।

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प्रयाग में आस्था की डुबकी का जितना बड़ा महात्म है उससे कही बडा दान की महत्ता है। सब तरह के कल्याण के लिए गौ दान उपयोगी है। दान या परोपकार एक ऐसा कर्म है जिसका महत्व सभी धर्मों में समान रूप से स्वीकार किया गया है। पौराणिक आख्यानों में और किंवदंतियाें में बताया गया है कि तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और पौरणिक सरस्वती की त्रिवेणी में माघ मास में स्नान करने के बाद ही देवराज इन्द्र को गौतम ऋषि के श्राप से मुक्ति मिली थी।


ऋग्वेद के अनुसार जो जातक गाय का दान करता है, उसे स्वर्ग में उच्च स्थान मिलता है। प्रयाग माहात्म्य में कहा गया है कि जो श्रेष्ठ विमान पर चढ़कर दिव्य अलंकारों से विभूषित होकर स्वर्ग जाना चाहे उसे गोदान करना चाहिए। यह दान दैहिक, दैविक और भौतिक पापों को नष्ट करता है। यह दान देने वाले को वैकुण्ठ ले जाता है तथा उसके पितरों को मोक्ष दिलाने वाला बताया गया है।

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