कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 50 फीसदी प्रभावी है कोवैक्सिन
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए भारत में बनाई गई कोवैक्सिन (Covaxin) को लेकर एक और ताजा शोध सामने आया है. इसमें कोरोना वायरस (Covid 19) के खतरनाक डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के खिलाफ इसकी प्रभाविकता 50 फीसदी बताई गई है. द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित कोविड 19 वैक्सीन (Corona Vaccine) कोवैक्सिन की पहली रियल वर्ल्ड रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसकी दो डोज कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 50 फीसदी तक प्रभावी है.
द लैंसेट में हाल ही में प्रकाशित एक अंतरिम अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि कोवैक्सिन की दो डोज में बीमारी के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभाविकता थी. साथ ही सुरक्षा को लेकर कोई गंभीर चिंता की बात भी नहीं है. शोध में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के उन 2714 अस्पतालकर्मियों पर 15 अप्रैल से 15 मई के बीच शोध किया गया, जो लक्षण वाले थे और कोविड 19 का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट करा चुके थे. शोधकर्ताओं ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि जिस दौरान यह शोध किया गया था, उस दौरान डेल्टा वेरिएंट भारत में सर्वाधिक फैला हुआ कोरोना वेरिएंट था. कुल पता चले कोरोना केसों में इसकी हिस्सेदारी 80 फीसदी थी.
कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (एनआईवी-आईसीएमआर), पुणे के सहयोग से बनाया गया है. यह 28 दिनों में लगने वाली दो डोज का एक निष्क्रिय टीका है. इस साल जनवरी में कोवैक्सिन को भारत में 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति दी गई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी लंबे इंतजार के बाद इस महीने की शुरुआत में स्वीकृत वैश्विक आपातकालीन इस्तेमाल के लिए कोवैक्सिन को अपनी सूची में स्थान दिया है.