Court – दहेज की मांग को लेकर – कभी सरस्वती पूजा और कभी लक्ष्मी और फिर यह सब
Court ने दहेज उत्पीड़न के मामले में आरोपी को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायाधीश ने आरोपी को जमकर लताड़ते हुए कहा, "आप कैसे इंसान हैं,
दिल्ली की एक Court ने दहेज उत्पीड़न के मामले में आरोपी को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायाधीश ने आरोपी को जमकर लताड़ते हुए कहा, “आप कैसे इंसान हैं, जो अपनी बेटियों की भी कोई परवाह नहीं करते? ऐसे क्रूर व्यक्तियों के लिए समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।” अदालत ने यह भी कहा कि वह ऐसे व्यक्ति को कोर्ट में आने की अनुमति देने पर विचार कर रही है।
सरस्वती पूजा और लक्ष्मी पूजा पर अदालत की टिप्पणी
Court ने आरोपी के धार्मिक आचरण पर भी सवाल उठाए। न्यायाधीश ने कहा, “आपके घर पर कभी सरस्वती पूजा होती है, कभी लक्ष्मी पूजा होती है, और फिर आप अपनी ही पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करते हैं। यह दोहरा आचरण बिल्कुल अस्वीकार्य है।” अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिकता का दिखावा करने वालों को अपने कर्मों का भी ध्यान रखना चाहिए।
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मामला और आरोप
यह मामला एक महिला द्वारा दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित है। महिला ने शिकायत की थी कि शादी के बाद से ही उसके पति और ससुराल पक्ष ने उस पर दहेज लाने का दबाव डाला। उसने यह भी आरोप लगाया कि जब उसने दहेज लाने से मना कर दिया, तो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इस प्रताड़ना का असर न केवल महिला पर, बल्कि उसके बच्चों पर भी पड़ा है।
महिलाओं के अधिकारों पर अदालत की चिंता
न्यायाधीश ने अपने बयान में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि समाज में महिलाओं को उनके अधिकार मिल सकें और दहेज जैसी कुप्रथाओं का अंत हो सके। न्यायालय ने कहा, “महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित करना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि यह हमारे समाज की मूलभूत नैतिकता के भी खिलाफ है।”
सामाजिक बदलाव की आवश्यकता
Court ने यह भी कहा कि दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए केवल कानून ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए समाज को जागरूक होना होगा। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता को अपनी बेटियों को सशक्त बनाना चाहिए और उन्हें यह सिखाना चाहिए कि वे किसी भी प्रकार के अत्याचार को सहन न करें।
दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कदम
इस मामले में Court ने आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया और पुलिस को निर्देश दिया कि वह इस मामले की पूरी गहराई से जांच करे। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि अन्य लोग इससे सबक ले सकें।
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Court ;घटना समाज में दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। अदालत का यह फैसला न केवल पीड़ित महिला के लिए न्याय की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह समाज को एक मजबूत संदेश भी देता है। यह समय है कि हम सभी मिलकर दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं और इसे पूरी तरह समाप्त करने का संकल्प लें।