AIIMS निदेशक बोले- कोरोना ने सिखाया…कैसे निर्णायक साबित हो सकती है प्रौद्योगिकी
नेशनल डेस्क: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना ने प्रौद्योगिकी के महत्व को प्रदर्शित किया है। साथ ही, इससे यह भी प्रदर्शित हुआ कि इसका उपयुक्त उपयोग करने से कैसे यह देश में निर्णायक साबित हो सकता है, जहां स्वास्थ्य क्षेत्र में संसाधन और मानव बल की कमी एक बड़ा मुद्दा है। गुलेरिया ने भारत के 8वें नेशनल फोरम 2021 के पब्लिक अफेयर्स फोरम में कहा कि महामारी ने प्रदर्शित किया है कि यदि आपका राष्ट्र स्वस्थ नहीं है, तो इसका आपकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा, यह पर्यटन को प्रभावित कर सकता है, यह यात्रा को प्रभावित करेगा और इसके कई अन्य प्रभाव भी पड़ेंगे।
एम्स निदेशक ने कहा कि covid-19 ने प्रौद्योगिकी के महत्व को प्रदर्शित किया है और इसने वास्तव में यह बताया है कि प्रौद्योगिकी का उपयुक्त उपयोग हमारे देश में निर्णायक साबित हो सकता है, जहां स्वास्थ्य क्षेत्र में संसाधनों और मानव बल की कमी बड़ा मुद्दा है। इसलिए हमने बहुत तेजी से ‘टेलीकंसल्टेशन’ को अपनाया है, जिसने हमें देशभर में काफी संख्या में मरीजों को, उनके अस्पताल पहुंचे बगैर, परामर्श देने में सक्षम बनाया है। यह किफायती है।
गुलेरिया ने कहा कि जहां तक स्वास्थ्य की बात है, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में काफी असमानता है तथा उसका समाधान करना होगा। एम्स चीफ ने कहा कि और, मुझे कभी-कभी लगता है कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रौद्योगिकी इस विभाजन को नहीं बढ़ाए। हमें अवश्य तय करना चाहिए कि यह उन लोगों के लिए भी कहीं अधिक समावेशी होगा, जो प्रौद्योगिकी का बखूबी उपयोग नहीं कर सकते हैं।
गुलेरिया ने कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग पर काफी जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि हमें अनुसंधान में अधिक निवेश और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) आर एस शर्मा ने कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें प्रौद्योगिकी का उपयोग कर लागत में काफी कमी आएगी। गुलेरिया ने कहा कि मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं कि प्रौद्योगिकी को समावेशी होना होगा। यह केवल गतिविधि ही नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही प्रौद्योगिकी संबंधी जरूरत को पूरा करना किसी तरह का बोझ नहीं होना चाहिए।