कोरोना ने बिगाड़ी प्रदेश की आर्थिक सेहत, 12 फीसदी से ज्यादा गिरी सरकार की आय
जयपुर. वित्तीय संसाधनों की कमी से जूझ रही राजस्थान की गहलोत सरकार (Gehlot Government) की कोविड-19 के कारण आर्थिक सेहत और बिगड़ (Financial health deteriorated) गई है. 18 से 44 उम्र के लोगों का निःशुल्क वैक्सीनेशन कराने से सरकारी खजाने से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये खर्च होना तय है. पिछले 6 महीने के दौरान सरकार की विभिन्न करों से होने वाली आय पिछले वर्ष के मुकाबले 12.45 प्रतिशत तक कम हो गई है.
वित्त विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, वैश्विक महामारी कोविड की वजह से सरकार की करों और करों के अलावा होने वाली आय बुरी तरह प्रभावित हुई है. विशेषकर पेट्रोलियम और परिवहन क्षेत्र में होने वाली आय पर काफी नकारात्मक असर पड़ा है.
शराब के दाम बढ़ाए फिर भी नहीं भरा खजाना
कोरोना काल के दौरान अशोक गहलोत सरकार ने तीन बार शराब के दाम बढ़ाए, लेकिन इससे भी कोई खास फायदा नहीं मिला. राज्य सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले सेस में भी बढ़ोतरी की. बावजूद उसके राज्य सरकार की कोरोना काल में आय 12 फीसदी से कम हुई है.
पिछले पांच वर्ष में राजस्व घाटा सबसे ज्यादा
वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार राजस्व प्राप्तियां 1 लाख 47 हजार 980 करोड़ 19 लाख रुपये है. जबकि राजस्व व्यय 1 लाख 89 हजार 701 करोड़ 80 लाख रुपये है. राजस्व घाटा 41 हजार 721 करोड़ 61 लाख रुपये रहा. यह पिछले पांच वर्ष में सबसे ज्यादा है. राज्य सरकार की ओर से लगाए जाने वाले करों से होने वाली आय में जनवरी से अप्रैल के बीच करीब 12 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है. जबकि गैर कर योग्य आय में पिछले वर्ष के मुकाबले 40 प्रतिशत की कमी आई है.
यूं समझे आय में गिरावट
राज्य सरकार को पिछले 5 वर्ष की तुलना में सबसे ज्यादा घाटा हुआ है.
– राज्य के जीएसटी में 25 फीसदी कमी बरकरार.
– भू-राजस्व से होने वाली आय में 57 फीसदी की कमी.
– वाहनों से होने वाली आय में 40 फीसदी की कमी.
– लग्जरी और मनोरंजन कर से होने वाली आय में 63 फीसदी से अधिक की कमी.
– पिछली वित्तीय वर्ष में पेट्रोलियम से 1 हजार 800 करोड़ की आय हुई.
– कोरोना काल में पेट्रोल से आय घटकर करीब डेढ़ हजार करोड़ रह गई.
– कोरोना काल में आबकारी विभाग में सबसे कम घाटा रहा.
– आबकारी विभाग से होने वाली आय में महज 1 फीसदी की कमी दर्ज की गई.