बाटला हाउस एनकाउंटर में दोषी आरिज खान को हुई फांसी की सजा
नई दिल्ली, बाटला हाउस एनकाउंटर में दोषी आरिज खान को दिल्ली की कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ मानते हुए फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 8 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि एनकाउंटर के वक्त आरिज खान मौके पर ही था और वो पुलिस की पकड़ से भाग निकला था। अदालत ने कहा कि उसने भागने से पहले पुलिसवालों पर फायरिंग की थी। कोर्ट ने कहा कि बाटला हाउस एनकाउंटर में पुलिस टीम के चीफ इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा पर भी आरिज ने गोलियां चलाई थीं, जिससे उनकी जान चली गई।
आरोपी आरिज खान के लिए फांसी की मांग
दिल्ली पुलिस ने अदालत से आरिज खान को फांसी की सजा दिए जाने का मांग की थी। दिल्ली पुलिस का पक्ष रख रहे सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एटी अंसारी ने कहा था कि कानून का अनुपालन करवाने वाले अधिकारी जो न्याय का संरक्षक था, उनकी हत्या की गई है। वो अपनी ड्यूटी पर थे। इसलिए मामले में कड़ा कदम उठाने की दरकार है।
कोर्ट ने कही ये बात
कोर्ट ने कहा था कि आरिज खान को आईपीसी की धारा 186, 333, 353, 302, 307, 174A, 34 के तहत दोषी पाया गया है। उसे आर्म्स ऐक्ट की धारा 27 के तहत भी दोषी करार दिया गया है। एक दशक तक कथित तौर पर फरार रहने के बाद फरवरी 2018 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा कि यह साबित हो चुका है कि आरिज खान और उसके सहयोगियों ने जान-बूझकर पुलिसवालों को चोट पहुंचाई थी। अदालत ने यह भी कहा कि खान ने इंस्पेक्टर एमसी शर्मा पर गोली चलाई जिससे उनकी जान गई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ADJ) संदीप यादव ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त सबूत पेश किए जिनपर कोई संदेह नहीं किया जा सकता है।
13 सितंबर 2008 को करोल बाग, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सीरियल बम धमाके हुए थे जिनमें 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी गुट आईएम ने अंजाम दिया है। इसमें लीड मिली गुजरात में हुए ब्लास्ट से। दरअसल, गुजरात में 26 जुलाई 2008 को ब्लास्ट हुआ था। गुजरात पुलिस ने जांच की और उससे जो लीड मिली वे उन्होंने इंटेलिजेंस एजेंसियों के अलावा सभी राज्यों की पुलिस से भी शेयर की थी। जानकारी दिल्ली पुलिस से भी शेयर की गई थी। जब उन लीड्स को डिवेलप किया गया तो उसी के आधार पर बटला हाउस में सर्च ऑपरेशन अंजाम दिया गया था।
बटला हाउस में छिपे थे पांच आरोपी
आईएम के पांच आतंकी बटला हाउस स्थित एक मकान में मौजूद थे। 21 सितंबर 2008 को पुलिस ने कहा कि उसने आईएम के तीन आतंकियों और बटला हाउस के एल-18 मकान की देखभाल करने वाले शख्स को गिरफ्तार किया। दिल्ली में हुए विस्फोटों के आरोप में पुलिस ने कुल 14 लोग गिरफ्तार किए थे। ये गिरफ्तारियां दिल्ली और उत्तर प्रदेश से की गई थीं। आरिज घटना के 10 साल तक फरार रहा और उसे 14 फरवरी, 2018 को गिरफ्तार किया जा सका।
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मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति का हुआ खुला खेल
बाटला हाउस एनकाउंटर पर कांग्रेस नेताओं ने मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति का खुला खेल खेला था। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताकर सवाल उठाए थे। वहीं, एक अन्य बड़े नेता सलमान खुर्शीद ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एनकाउंटर में मारे गए मुस्लिम लड़कों की तस्वीरें देखकर रो पड़ी थीं।
बीजेपी ने सोनिया से पूछे थे ये सवाल
इस पर बीजेपी ने सवाल पूछे थे कि सोनिया आतंकवादियों के मारे जाने से आहत हुईं, लेकिन दिल्ली पुलिस के इंसपेक्टर मोहन लाल शर्मा की शहादत पर उनका दिल क्यों नहीं पसीजा? दरअसल, बीजेपी ने हमेशा कहा कि एनकाउंटर सही था और वहां मारे गए सभी आतंकवादी ही थे, कोई बेकसूर नहीं था।
आरिज खान को जब अदालत ने दोषी करार दिया तो भी बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिग्विजय और सलमान खुर्शीद जैसे नेताओं से जवाब मांगे। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि बाटला हाउस एनकाउंटर सही निकला तो वो राजनीति छोड़ देंगी, अब जब आरिज खान दोषी साबित हो गया तो ममता क्या करेंगी?