Devki Nanadan Thakur का विवादित बयान: ‘जो हमें काटना चाहेंगे, उन्हें हम…’

Devki नंदन ठाकुर का विवादित बयान सामने आया, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है।

पूर्वी दिल्ली के पांचवें पुश्ता में शनिवार को आयोजित सनातन धर्म संसद में कथावाचक Devki नंदन ठाकुर का विवादित बयान सामने आया, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। देवकी नंदन ठाकुर महाराज के नेतृत्व में हो रही इस धर्म संसद के दौरान, उन्होंने एक कथन दिया जिसे कई लोग विवादास्पद मान रहे हैं।

धर्म संसद में सनातन धर्म की रक्षा की अपील

धर्म संसद का आयोजन सनातन धर्म के प्रचार और उसकी रक्षा के लिए किया गया था। इसमें कथावाचक Devki नंदन ठाकुर ने धर्म की महिमा का बखान किया और सनातन धर्म को बढ़ावा देने की अपील की। इसके साथ ही, उन्होंने एक बिंदु पर अपनी बात रखते हुए एक विवादित बयान दिया, जिसे लेकर अब राजनीति में हलचल मची हुई है।

Devki नंदन ठाकुर ने मंच से कहा, “जो हमें काटना चाहेंगे, उन्हें हम…” यह बयान सुनते ही पंडाल में मौजूद लोग चुप हो गए और कई लोग इसे भड़काऊ और हिंसा की ओर उकसाने वाला मान रहे हैं। हालांकि, ठाकुर ने इस बयान का संदर्भ स्पष्ट नहीं किया, लेकिन उनका यह बयान सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर चर्चा का विषय बन गया।

धर्म संसद में अन्य प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति

सनातन धर्म संसद में हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे, जिनमें कई प्रमुख संत-महात्मा भी शामिल थे। इस मौके पर महंत रवींद्र पुरी, जो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हैं, और गोविंद देव गिरी महाराज, जो श्री रामजन्म भूमि ट्रस्ट, अयोध्या के कोषाध्यक्ष हैं, ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसके अलावा, महामंडलेश्वर नवल किशोर महाराज, चक्रपाणि महाराज, और जैन आचार्य श्रीलोकेश मुनि जैसे कई धर्मगुरु भी उपस्थित थे।

इन संतों ने धर्म संसद में सनातन धर्म की रक्षा की आवश्यकता और सनातन बोर्ड की मांग की। धर्म संसद के पंडाल में जय श्रीराम के उद्घोष के साथ एक धार्मिक माहौल बना हुआ था, जिसमें भाग लेने वाले लोग धर्म की रक्षा के लिए संकल्पित दिखाई दिए।

Devki नंदन ठाकुर का बयान: विवाद या सत्य?

Devki नंदन ठाकुर का बयान यह दर्शाता है कि वे सनातन धर्म के प्रति अपने अनुयायियों को एकजुट और दृढ़ रखने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, उनका यह बयान कई लोगों द्वारा गलत तरीके से लिया गया और यह आरोप लगाया गया कि उनके शब्दों में हिंसा को उकसाने की गंध थी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूरे देश में धार्मिक असहमति और विवादों की स्थिति लगातार बढ़ रही है।

यह कथन कई लोगों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि यह राजनीति और समाज में तनाव पैदा करने का कारण बन सकता है। कई राजनीतिक नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस बयान की आलोचना की और इसे अस्वीकार किया।

सनातन धर्म बोर्ड की मांग

इस धर्म संसद के दौरान सनातन धर्म बोर्ड की भी मांग की गई, जिसका उद्देश्य सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और उसके संरक्षण के लिए एक मजबूत निकाय बनाना था। यह बोर्ड धार्मिक मामलों में फैसले लेने और धर्म की रक्षा करने के लिए एक सक्षम संस्थान हो सकता है। इस विचारधारा को लेकर धर्म संसद में मौजूद संतों ने भी अपनी सहमति जताई।

सनातन धर्म के अनुयायी इस बोर्ड के गठन की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं ताकि धार्मिक अधिकारों का संरक्षण किया जा सके और धार्मिक आस्थाओं को समुचित सम्मान मिले।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

देवकी नंदन ठाकुर के विवादित बयान के बाद, राजनीतिक हलकों में भी प्रतिक्रियाएँ तेज हो गई हैं। कई नेताओं ने उनके बयान की निंदा की और इसे साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने वाली कार्रवाई बताया। वहीं कुछ अन्य लोगों ने इसे उनके धार्मिक आस्थाओं का हिस्सा माना, हालांकि उनका बयान कुछ हद तक भड़काऊ प्रतीत होता है।

धर्म संसद में आयोजित चर्चाओं और घोषणाओं के बाद, यह साफ है कि सनातन धर्म के अनुयायी एकजुट होकर अपने धर्म की रक्षा करने के लिए कटिबद्ध हैं। लेकिन साथ ही, इस तरह के विवादित बयानों से नफरत और हिंसा को बढ़ावा मिलने का खतरा भी बना रहता है।

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देवकी नंदन ठाकुर का बयान सनातन धर्म संसद में दिया गया, जिसने एक बार फिर से धार्मिक और राजनीतिक विवादों को जन्म दिया है। ऐसे बयानों को लेकर सतर्क रहना जरूरी है ताकि देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र और शांति बनाए रखी जा सके। वहीं, धर्म के नाम पर हिंसा और भड़काऊ भाषणों को लेकर लोगों को जागरूक रहना चाहिए, ताकि समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा मिले।

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