5 बड़ी माफिया हत्याएं और बाबा सिद्दीक़ी की हत्या का कनेक्शन
5 बड़े माफिया हत्याओं की कहानी
भारत के इतिहास में माफिया हत्याएं अक्सर राजनीति, व्यापार, और सत्ता संघर्षों से जुड़ी रही हैं। हाल ही में बाबा सिद्दीक़ी की हत्या ने देशभर में एक बार फिर माफिया राज के साये को सामने ला दिया है। यहां हम पांच बड़ी माफिया हत्याओं का जिक्र करेंगे, जिन्होंने देश को हिला कर रख दिया।
1. बाबा सिद्दीक़ी हत्या कांड (2024)
मुंबई के चर्चित नेता और कारोबारी बाबा सिद्दीक़ी की हाल ही में हत्या ने माफिया की क्रूरता और राजनीतिक षड्यंत्रों को फिर से उजागर किया। सिद्दीक़ी की हत्या को मुंबई के अंडरवर्ल्ड से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि उनकी बढ़ती राजनीतिक पकड़ और बिज़नेस में सफलता ने कई दुश्मनों को जन्म दिया। पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि उनकी हत्या में माफिया का हाथ हो सकता है, जो उन्हें सत्ता और व्यापार में रोड़ा मानते थे।
2. दाऊद इब्राहिम के करीबी करीम लाला की हत्या (1981)
मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला की हत्या ने पूरे अंडरवर्ल्ड को हिला दिया था। करीम लाला का नाम मुंबई के माफिया इतिहास में बड़े नामों में आता है। उनकी हत्या के पीछे माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम का हाथ माना जाता है, जिसने अपने रास्ते के सबसे बड़े दुश्मन को हटाने के लिए यह कदम उठाया। करीम लाला की हत्या से मुंबई में माफिया युद्ध का दौर शुरू हो गया था।
3. शिवसेना नेता कमलाकर जामसंडेकर की हत्या (2007)
मुंबई के एक और चर्चित मामला, शिवसेना नेता कमलाकर जामसंडेकर की हत्या, माफिया और राजनीति के बीच की खतरनाक सांठगांठ को उजागर करती है। जामसंडेकर की हत्या की वजह राजनीतिक दुश्मनी और जमीन के कारोबार में हो रही प्रतिस्पर्धा मानी जाती है। यह मर्डर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का एक बड़ा उदाहरण था, जहां माफिया ने पैसे के बदले हत्या कराई थी।
4. बीके हरन की हत्या (1990)
बीके हरन, जो कि मुंबई के कपड़ा उद्योग से जुड़े एक बड़े व्यापारी थे, उनकी हत्या ने व्यापार और माफिया के बीच के संबंधों को उजागर किया। हरन की हत्या उस वक्त हुई जब उन्होंने माफिया को पैसे देने से इंकार कर दिया था। इस हत्या के बाद मुंबई के व्यापारी वर्ग में डर का माहौल बन गया था और माफिया का आतंक चरम पर था।
5. राजन टिकरी की हत्या (2015)
दिल्ली के कुख्यात अपराधी राजन टिकरी की हत्या ने उत्तर भारत में माफिया की ताकत को दिखाया। टिकरी एक बड़े गैंग का संचालन करता था और उसकी हत्या के पीछे गैंगवार को जिम्मेदार ठहराया गया। टिकरी की मौत के बाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कई माफिया गुटों के बीच संघर्ष और तेज हो गया था।
निष्कर्ष
माफिया हत्याएं भारत के राजनीतिक और सामाजिक ढांचे को गहरे रूप से प्रभावित करती हैं। बाबा सिद्दीक़ी की हालिया हत्या ने फिर से माफिया के साये में होने वाली साजिशों को सामने ला दिया है। राजनीति, व्यापार और सत्ता की इस लड़ाई में निर्दोष लोग भी अक्सर निशाने पर आ जाते हैं, और इन मामलों में न्याय की प्रक्रिया अक्सर धीमी होती है।