एमएसपी की गारंटी को लेकर कांग्रेस का कृषि विधेयकों के खिलाफ हल्ला बोल
नई दिल्ली। खेती-किसानी से जुड़े तीन बिलों को कांग्रेस पार्टी ने ‘संघीय ढांचे के खिलाफ और असंवैधानिक’ करार दिया है। साथ ही कहा है कि इन ‘काले कानूनों’ को न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। इसी के साथ कांग्रेस ने संसद में पास कृषि विधेयकों के खिलाफ देशव्यापी अभियान की शुरुआत कर दी है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को पूंजीपतियों की आय की चिंता है, एमएसपी सुनिश्चित न होने पर किसानों की आय पर पड़ने वाले प्रभाव की चिंता नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि पूंजीवादी सरकार किसान की मांगों को मानकर एमएसपी की गारंटी दे।
कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार की कुनीतियों की वजह से किसान पहले से ही बेहाल हो रखे हैं। अब सरकार ने किसान विरोधी बिल पारित करवाकर किसानों के हितों पर प्रहार किया है। भारत के गरीब किसानों को नौकरशाही और पूंजीपतियों की जोड़ी से न्याय की लड़ाई लड़नी पड़ेगी। प्रमुख विपक्षी पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये किसान विरोधी अध्यादेश अन्नदाता पर प्रहार कर रहे हैं। इन अध्यादेशों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का उल्लेख नहीं है। किसान विरोधी सरकार को क्या दिक्कत है, अगर इन अध्यादेशों में एमएसपी कानूनी अधिकार बनाकर सुनिश्चित कर दी जाए।
वहीं पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, “किसानों से एमएसपी छीन ली जाएगी। उन्हें कांट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए खरबपतियों का गुलाम बनने पर मजबूर किया जाएगा। न दाम मिलेगा, न सम्मान… किसान अपने ही खेत में मजदूर बन जाएगा। भाजपा का कृषि बिल ईस्ट इंडिया कम्पनी राज की याद दिलाता है। हम ये अन्याय नहीं होने देंगे।”
इस दौरान पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से सवाल किया है कि क्या वो बताएंगे कि 600 रुपये पर पिट रही मक्की का एमएसपी 1,835 रुपये प्रति क्विंटल कब देंगे? किसानों को मिलने वाली इस मदद में देरी ही उनके साथ धोखा है। इसीलिए है आज का ये ‘भारत बंद’। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इन विधेयकों को लाकर किसान के खेत पर लात मारने का काम किया है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी। इस पर देशभर में विशेषकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान खासे नाराज हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने गुरुवार से तीन दिन का रेल यातायात ठप करने का ऐलान किया है। साथ ही कहा है कि अगर सरकार उनकी बात नहीं सुनती है तो वो एक अक्टूबर से अनिश्चितकाल के लिए रेल यातायात ठप करेंगे।