नए कृषि कानून को रद्द करने की मांग को लेकर कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन

मुंबई। केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए नए कॄषि विधेयक को रद्द करने की मांग लेकर कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा का अभिवादन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेताओं के शिष्टमंडल ने राजभवन जाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।

कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आरोप लगाया कि केंद्र में किसानों की सरकार नहीं, बल्कि वामपंथियों की सरकार है। कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि बिल का विरोध करती है। यह बिल किसान विरोधी है और इसे निरस्त किया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी इस बिल के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन कर रही है। जब तक यह कानून रद्द नहीं किया जाता, कांग्रेस का आंदोलन जारी रहेगा।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि वह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना कर देंगे, लेकिन वर्तमान में इसकी कोई गारंटी नहीं है। राज्यपाल ने केंद्र के साथ चर्चा करने का वादा किया है। चव्हाण ने कहा कि राज्य में कानून के कार्यान्वयन पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा की जाएगी। इस आंदोलन के अगले चरण में 2 अक्टूबर को किसान मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह आंदोलन राज्य के सभी जिला और विधानसभा मुख्यालयों पर आयोजित किया जाएगा। कांग्रेस सरकार तब तक संघर्ष करती रहेगी जब तक कि केंद्र सरकार इन किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं ले लेती।

पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि भाजपा सरकार बिना किसी चर्चा के किसान विरोधी कानून लागू कर रही है। यह सरकार किसानों के साथ नहीं है। केंद्र ने जल्दबाज़ी में तीन किसान विरोधी कृषि बिलों को पारित करके लोकतंत्र का गला घोंट दिया है। यह एक ऐसा बिल है जो किसानों को गुलाम बनाता है और इससे केवल मोदी के कॉर्पोरेट मित्रों को फायदा होगा। हम चाहते थे कि बिल को संसदीय समिति के पास संशोधन के लिए भेजा जाए। कम से कम भाजपा को अपने सहयोगी, अकाली दल के साथ कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। राज्यपाल से मिलने वाले शिष्टमंडल में पूर्व गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदे, आदिवासी विकास मंत्री केसी पडवी, महिला व बाल कल्याण मंत्री यशोमति ठाकुर, सुरेश धनकोर,भालचंद्र मुंगेकर, पूर्व मंत्री डीपी सावंत, अनीस अहमद, राजेश राठौड़, अमरजीत मन्हास और रवींद्र दलवी सहित अन्य नेता शामिल थे।

Related Articles

Back to top button