उपचुनाव में सवर्णों पर कांग्रेस की नजर:कांग्रेस के 20 स्टार प्रचारकों में आधे से ज्यादा इसी वर्ग के,
मुस्लिम वोट बैंक पर भी सेंधमारी की कोशिश
कांग्रेस ने तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए 20 स्टार प्रचारकों की सूची मंगलवार को जारी कर दी। इस लिस्ट को लोग कांग्रेस की बिहार में भविष्य की राजनीति के रूप में देख रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि इसमें किसी यादव नेता को नहीं रखने का मतलब है कि पार्टी ने मान लिया है कि यादव वोट बैंक तेजस्वी यादव को ही जाएगा। किसी अति पिछड़ा नेता को भी इस सूची में नहीं रखा है। अति पिछड़ा वोट बैंक पर नीतीश कुमार की पार्टी JDU की अच्छी पकड़ मानी जाती है। इस लिहाज से लालू प्रसाद के यादव वोट बैंक और नीतीश कुमार के अति पिछड़ा वोट बैंक को तोड़ने की कोई कोशिश कांग्रेस नहीं करना चाहती है।
स्टार प्रचारकों में 5 मुसलमान नेता तारिक अनवर, डॉ. शकील अहमद, डॉ. मो. जावेद, शकील अहदम खान और इमरान प्रतापगढ़ी हैं। सीमांचल को छोड़ दें तो बाकी स्थानों पर मुस्लिम वोट बैंक पर RJD का कब्जा माना जाता है। शहाबुद्दीन के बेटे की शादी में जाकर तेजस्वी ने इस वोट बैंक को साधने की कोशिश भी की। कांग्रेस इस वोट बैंक को RJD से तोड़कर अपनी तरफ लाना चाहती है। इसमें वह कितना कामयाब हो पाती है, यह देखना अभी बाकी है।
कांग्रेस का टारगेट वोट बैंक कौन?
कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची बताती है कि उसका पूरा फोकस कथित अगड़ी जाति, दलितों और मुसलमान वोट बैंक पर है। इस लिस्ट में मदन मोहन झा, अजीत शर्मा, निखिल कुमार, डॉ. अखिलेश सिंह, शत्रुघ्न सिन्हा, अनिल शर्मा, कीर्ति आजाद, अवशेध सिंह, प्रेमचंद मिश्रा, कन्हैया कुमार और अमिता भूषण जैसे नेता अगड़ी जाति से हैं। 20 स्टार प्रचारक में 11 सिर्फ अगड़ी जाति से हैं। वहीं, तीन दलित मीरा कुमार, भक्त चरण दास और जिग्नेश मेवाणी चेहरा हैं। बिहार में हार्दिक पटेल को OBC के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं, युवा नेता के तौर पर माना जा सकता है।
कांग्रेस के स्टार प्रचारकों का संक्षिप्त परिचय पढ़िए…
मीरा कुमार
मीरा कुमार जगजीवन राम की बेटी हैं और लोकसभा में अध्यक्ष रह चुकी हैं। इस लिहाज से कांग्रेस में बड़े कद की नेत्री हैं। दलित वोट बैंक को एकजुट करने में भी कांग्रेस उनका इस्तेमाल करना चाहती हैं। खास तौर से कुशेश्वरस्थान में मुसहरों की संख्या ज्यादा है, इसलिए RJD ने वहां से मुसहर जाति के गणेश भारती को उम्मीदवार बनाया है। यहां मीरा कुमार के रहने का कुछ फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
डॉ. शकील अहमद
डॉ. शकील अहमद केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। 2019 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो महागठबंधन से बागी होकर निर्दलीय लड़े और हारे। मुसलमान वोट बैंक को कांग्रेस की तरफ करने की कोशिश करेंगे।
डॉ. शत्रुघ्न सिन्हा
भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से कांग्रेस के टिकट पर लड़े। पत्नी पूनम सिन्हा लखनऊ से सपा के टिकट पर लड़ीं। बेटा लव सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े। तीनों को जनता ने नकारा। बिहारी बाबू के नाम से चर्चित हैं, लेकिन बिहार में RJD को कितना खामोश कर पाएंगे, यह देखना है।
डॉ. मो. जावेद
किशनगंज से सांसद हैं। बिहार में कांग्रेस के एकमात्र सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब RJD एक भी सीट नहीं जीत पाई तो कांग्रेस के इस सांसद ने जीत दर्ज की थी। क्षेत्रीय पहचान वाले नेता हैं। मुसलमान का वोट दिलाने की जिम्मेदारी होगी।
डॉ. अनिल शर्मा
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। सीनियर लीडर हैं और पहचान वाले वोकल नेता हैं। जाति से भूमिहार हैं, लेकिन कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर बिहार के सभी क्षेत्रों से और सभी जातियों-वर्गों से लोगों को स्थान दे इसकी मांग करते रहे हैं।
कीर्ति आजाद
क्रिकेट के चर्चित खिलाड़ी रहे हैं। मुख्यमंत्री रहे भागवत झा आजाद के पुत्र हैं। जाना-पहचाना चेहरा है। जाति से ब्राह्मण हैं।
इमरान प्रतापगढ़ी
कांग्रेस में अखिल भारतीय कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष हैं। उत्तर प्रदेश से आते हैं। जाने-माने शायर हैं। खास तौर से पॉलिटिकल शायरी के लिए उनकी अलग पहचान है। उनका एक शेर देखिए-“मुहब्बत कौन करता है, सियासत कौन करता है, मुझे मालूम है मेरी हिफाजत कौन करता है, हमीं ने लाज रखी है बुजुर्गों की यहां वरना, सभी टुकड़ों पर पलते हैं, बगावत कौन करता है।’
डॉ. कन्हैया कुमार
CPI से कांग्रेस में आए हैं। JNU की छात्र राजनीति के चर्चित नेता हैं, लेकिन स्टार प्रचारकों की लिस्ट में कांग्रेस ने 17वें नंबर पर रखा है। प्रधानमंत्री के खिलाफ तर्कपूर्ण तरीके से बोलने वाले युवा नेता की छवि हैं। बेगूसराय से गिरिराज सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। जाति से भूमिहार हैं, लेकिन माना जा रहा है कि युवा तेजस्वी की छवि को टक्कर देंगे।
हार्दिक पटेल
गुजरात में पाटीदार आंदोलन से चर्चा में आए हैं। युवा नेता हैं। इनका नाम है, इसलिए पार्टी को उम्मीद है भीड़ जुटाएंगे।
जिग्नेश मेवानी
गुजरात के दलित मुद्दों को लेकर संघर्ष करते रहे हैं। उसी से पहचान बनी और फिर निर्दलीय विधायक बने। कांग्रेस की औपचारिक सदस्यता नहीं ली, पर कांग्रेस के मंचों पर खूब दिखते रहे हैं। अगला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ेंगे, इसका ऐलान कर चुके हैं।
अमिता भूषण
जाति से भूमिहार हैं। पहली बार महागठबंधन से 2015 में विधायक बनी थीं। 2020 के विधानसभा चुनाव हार गईं। कांग्रेस ने अपना महिला चेहरा दिखाने के लिए स्टार प्रचारक बनाया है।
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