कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कही यह बड़ी बात
मणिकर्णिका घाट पर शुक्रवार की दोपहर बेबाक अंदाज और बिंदास बोल वाले पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू अध्यात्म और दर्शन में डूबे नजर आए। पत्रकारों को कुरेदते हुए उन्होंने कहा कि लक्ष्मी, शरीर और प्राण चलायमान हैं। मणिकर्णिका घाट पर हर दिन कितने शरीर जलते हैं, देखो।
सभी को जलना पड़ता है और मिट्टी के नीचे जाना पड़ता है, लेकिन काम चलता है। मैं अपनी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू को काशी लेकर आया हूँ, जो कैंसर से पीड़ित है। धर्मस्थल पर मैं अपनी गुरु माई के साथ आया हूँ। मैं राजनीति या उससे जुड़े मुद्दों पर इस स्थान पर नहीं आया हूँ।
सांसद नवजोत सिंह सिद्धू काशी प्रवास के चौथे दिन मणिकर्णिका तीर्थ पहुंचे। विधि-विधान से पूजा करने के बाद वे कांग्रेस की पंचक्रोशी यात्रा पर चले गए। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि एक गौरवपूर्ण घंटा कीर्तिमय युगों से बेहतर है। बुलबुला चाहे एक क्षण ही क्यों न रहे, सबसे ऊंचा होकर जीता है।
मैंने इस घाट पर गंगा माई के किनारे इतिहास का गौरव देखते हुए समय बिताया है। जिन लोगों ने पिछले जन्मों में कुछ अच्छा काम किया है, वे इस पुण्य मास में काशी जाते हैं। उनका कहना था कि गुरुनानक साहब ने कहा था कि परमात्मा सबका भला जो करेगा, वही परमात्मा को समझा जाता है। Narayan ने कहा कि जगत एक परिवार है। हमारे गुरु माई पार्वती और भगवान शंकर ने कहा कि विश्व के कल्याण में हम सबका कल्याण निहित है।
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि परमात्मा हरि नारायण, अल्लाह, वाहे गुरु बन कर हर मनुष्य और कण-कण में बसा है, जैसे तिलों में तेल, सागर में लहरें, फूलों में खुशबू, गन्ने में गुड़ और दूध में मक्खन नहीं होता। वह व्यक्ति जो विश्व के कल्याण की इच्छा से कार्य करेगा, वही कर्मयोगी होगा और अपने आप का कल्याण करेगा।
धर्म से पलायन करना व्यक्तिगत स्वार्थ में जीना है। धर्म है भूखों को रोटी खिलाना, रोते हुओं को हंसाना, समाज के हर अवरोध को दूर करना और उजड़े हुओं को बसा देना। धर्म का उद्देश्य मानव कल्याण है।