Congress कर रही हैं पशुपति पारस का स्वागत…..!
Congress पार्टी को बिहार में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए विपक्षी गठबंधन की जरूरत महसूस हो रही है। बीजेपी के खिलाफ एक सशक्त गठबंधन बनाने के लिए कांग्रेस को क्षेत्रीय नेताओं और पार्टियों का साथ चाहिए।
Congress और पशुपति पारस के संभावित गठबंधन के फायदे
- बिहार में मजबूत प्रभाव: पशुपति पारस बिहार में एक मजबूत नेता के रूप में माने जाते हैं। Congress अगर उन्हें साथ लेती है तो बिहार के ग्रामीण और मिडल क्लास वोट बैंक में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सकती है।
- विपक्षी एकजुटता: बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा बनाने के लिए कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों का सहयोग जरूरी है। पशुपति पारस का समर्थन इस मोर्चे को और मजबूती दे सकता है।
- स्थानीय मुद्दों पर फोकस: पशुपति पारस, बिहार की राजनीति में सक्रिय रहते हुए, राज्य के विकास और स्थानीय मुद्दों पर अपनी आवाज उठाते रहे हैं। कांग्रेस के लिए उनके साथ आने से स्थानीय मुद्दों पर फोकस बढ़ सकता है।
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लेकिन सवाल यह उठता है कि जब 5 सांसद RLJP में थे, तो उनको क्यों नहीं योग्य समझा गया?
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दूसरा सवाल यह है कि LJP(R) में नए 3 सांसद खड़े किए गए, जो पहली बार सांसद का चुनाव के लिए खड़े हुए थे, और वे सभी कैसे जीत गए?
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पशुपति पारस का राजग में शामिल होना
2021 में पशुपति पारस, जो कि लोजपा (LJP) के नेता थे, ने पांच अन्य लोजपा सांसदों के साथ राजग (NDA) का दामन थाम लिया था। यह कदम खासा विवादास्पद था, क्योंकि लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में आंतरिक कलह बढ़ गई थी। पशुपति पारस की इस राह पर चलते हुए, लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान से उनका सत्ता संघर्ष बढ़ा, जिससे पार्टी में बिखराव हुआ। फिर भी, इस राजनीति के बीच एक बड़ा सवाल उभरता है: जब पशुपति पारस ने लोजपा के सभी पांच सांसदों के साथ राजग का हिस्सा बने, तो उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट क्यों नहीं दिया गया?
क्या यह ‘जादू’ था?
लोजपा (रामविलास) ने जिन तीन नए चेहरों को टिकट दिया, वे अपने-अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थे और उन्होंने पार्टी की नीतियों को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। शायद यही कारण था कि इन नए चेहरों को जनता का समर्थन मिला और वे चुनाव जीतने में सफल हुए। यदि यह सच है, तो इसे “जादू” ही कहा जा सकता है, क्योंकि इन उम्मीदवारों को पार्टी के अन्य बड़े चेहरों के मुकाबले अपेक्षाकृत कम समय में पहचान मिली और लोगों ने उन पर भरोसा जताया।
क्या टिकट गलत तरीके से बांटे गए थे?
लेकिन इस सफलता को लेकर कुछ लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या टिकटों का वितरण पारदर्शिता से हुआ था, या फिर यह किसी और तरीके से किया गया। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी चल रही है कि क्या ये टिकट किसी दबाव या स्वार्थ के तहत दिए गए थे। क्या पार्टी ने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए, या कुछ खास राजनैतिक समीकरणों के तहत इन उम्मीदवारों को टिकट दिया? ऐसे सवाल इस जीत के संदर्भ में लगातार उठ रहे हैं।
पशुपति पारस: एक प्रमुख राजनीतिक नेता
बीजेपी ने पशुपति की पार्टी के साथ गलत किया, ना लोकसभा चुनाव में एक भी टिकट दी, ना बिहार बैठक में बुलाया। पशुपति छोटे-मोटे नेता नहीं हैं, वह कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, उन्हें अच्छे-खासे सालों का अनुभव है, काफी बड़े नेताओं के साथ उनका राजनीतिक सफर रहा है। फिर एकदम से उन्हें धोखे में रखना बहुत ही गलत बीजेपी की तस्वीर दिखाता है कि वे अपनी ज़ुबान के पक्के नहीं हैं, ऐसा RLJP के समर्थकों का कहना है।
Pashupati Paras ,RLJP पार्टी ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला
Congress और पशुपति पारस का गठबंधन
Congress पार्टी को बिहार में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए विपक्षी गठबंधन की जरूरत महसूस हो रही है। बीजेपी के खिलाफ एक सशक्त गठबंधन बनाने के लिए कांग्रेस को क्षेत्रीय नेताओं और पार्टियों का साथ चाहिए। पशुपति पारस जैसे नेता कांग्रेस को एक मजबूत सहयोगी मिल सकते हैं, क्योंकि उनका समर्थन और प्रभाव बिहार के कई हिस्सों में है।
अगर पशुपति पारस Congress से जुड़ते हैं, तो यह बिहार के चुनावी परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। उनकी पार्टी के समर्थक और उनके कद को देखते हुए, कांग्रेस को फायदा हो सकता है। हालांकि, इसके लिए Congress को अपने गठबंधन की रणनीति पर विचार करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि गठबंधन दोनों पार्टियों के लिए फायदेमंद हो।