सिद्धू और अमरिंदर के बीच लड़ाई से सवालों के घेरे में आया कांग्रेस आलाकमान

नई दिल्‍ली. कांग्रेस (Congress) के भीतर नेताओं के बीच मनमुटाव और विद्रोह लगातार देखने को मिल रहा है. पंजाब (Punjab Congress) में प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और मुख्‍यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के खेमों के बीच गहमागहमी पिछले काफी दिनों से चल रही है. इस बीच कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और सांसद मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में शीर्ष नेताओं के नरम रवैये को लेकर कटाक्ष किया है.

मनीष तिवारी उन जी-23 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में व्यापक बदलाव करने के लिए कहा था. इन नेताओं ने इस पत्र में हस्‍ताक्षर भी किए थे. मनीष तिवारी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर सिद्धू के शुक्रवार के भाषण की एक वीडियो क्लिप शेयर की. इसमें वह धमकी देते दिख रहे हैं कि कांग्रेस ने अगर उन्‍हें निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया तो वह मुंहतोड़ जवाब देंगे.

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मनीष तिवारी ने कांग्रेस को जवाब देते हुए अकबर इलाहाबादी की उर्दू की पंक्तियां शेयर कीं. उन्‍होंने कहा, ‘हम आह भी करते हैं, तो हो जाते हैं बदनाम, जो कत्‍ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता.’

सिद्धू की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने मीडिया से कहा, ‘मैं उस संदर्भ को देखूंगा, जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू ने ये टिप्पणी की है. सिद्धू पंजाब इकाई के सम्मानित मुखिया हैं. अगर निर्णय लेने की शक्ति प्रदेश प्रमुख के पास नहीं होगी, तो किसके पास होगी.’ हरीश रावत ने हालांकि यह भी कहा कि प्रदेश अध्यक्ष पार्टी के संविधान के अंतर्गत और उसकी स्थिति के अनुसार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

इस बीच टिप्‍पणी को लेकर उठे विवाद के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मलविंदर सिंह माली ने शुक्रवार को पीपीसीसी प्रमुख के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया. माली ने इस्तीफा देते हुए कहा, ‘मुझे कुछ भी नुकसान होने पर उसके लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब के कैबिनेट मंत्री, विजेंद्र सिंह, पंजाब के सांसद मनीष तिवारी, पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल, पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया और बीजेपी के सुभाष शर्मा, आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा और जरनैल सिंह जिम्मेदार होंगे.’

इससे पहले रावत ने कहा कि उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू से अपने विवादास्पद सलाहकार प्यारे लाल गर्ग और मलविंदर सिंह माली को बर्खास्त करने के लिए कहा था. सिद्धू ने इस्तीफे से पहले एक बयान में कहा था कि उन्हें स्वतंत्र रूप से अपने फैसले लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.

हरीश रावत ने कहा, ‘पहला, कांग्रेस का सिद्धू के सलाहकारों से कोई लेना-देना नहीं है. दूसरा, कश्मीर पर सलाहकार की टिप्पणी कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं है. कश्मीर देश का अभिन्न अंग है. अगर पाकिस्तान के साथ कोई अनसुलझा मुद्दा है, तो वह पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) है. मैंने सिद्धू से अपने सलाहकारों को हटाने के लिए कहा है. पार्टी ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं कर सकती जो लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी करते हैं. मैं इसकी जांच करूंगा और फिर आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करूंगा.’

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