कांग्रेस का आरोप, सेना के अधिकारियों की पेंशन ‘छीनकर’ उनका मनोबल गिरा रही मोदी सरकार
नई दिल्ली। कांग्रेस ने एक बार फिर सेना के साथ धोखा करने और जवानों के हितों पर कुठाराघात करने का आरोप मोदी सरकार पर लगाया है। पार्टी महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सैन्य अफसरों की आधी पेंशन काटकर नरेन्द्र मोदी सरकार सेना का मनोबल गिराने का काम रही है।
कांग्रेस महासचिव एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को पत्रकारोंं से चर्चा में कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बटोरने वाली मोदी सरकार देश के इतिहास की पहली सरकार बनने जा रही है जो सीमा पर रोजाना अपनी जान की बाजी लगाने वाले सैन्य अफसरों की पेंशन काटने और ‘सक्रिय सेवा’ के बाद उनके दूसरे करियर विकल्प पर डाका डालने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री मोदी सेना के लिए दिया जलाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ साहसी और बहादुर सैन्य अफसरों के जीवन में उनकी पेंशन काट अंधेरा फैलाने का दुस्साहस कर रहे हैं। यही भाजपा का झूठा राष्ट्रवाद है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सेना में भर्ती यानि ‘सैन्य कमीशन’ के समय ‘इंडियन मिलिटरी एकेडमी’ में हर अधिकारी से 20 साल का अनिवार्य सर्विस बॉन्ड भरवाया जाता है। 20 साल की सेवा के बाद सैन्य अफसर ‘Last Drawn Salary’ यानि 20 साल की सेवा पूरी होने पर जो मूल तनख्वाह मिल रही हो, उसकी 50 प्रतिशत पेंशन पाने का हकदार है। परंतु मोदी सरकार ने उस 50 प्रतिशत पेंशन को भी आधी कर देने का प्रस्ताव रखा है।
सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार के नए प्रस्ताव के मुताबिक केवल उस सैन्य अफसर को पूरी पेंशन मिलेगी, जिसने 35 साल से अधिक सेना की सेवा में बिताए हों जबकि सेना के 90 प्रतिशत अफसर 35 साल की सेवा से पहले ही रिटायर हो जाते हैं। ऐसे में मोदी सरकार 90 प्रतिशत सेना के अफसरों को पूरी पेंशन से वंचित करने का षडयंत्र कर रही है। उन्होंने सरकार से पूछा कि जब सेना में भर्ती होते हुए 20 साल की अनिवार्य सेवा और 20 साल के बाद फुल पेंशन पर रिटायरमेंट की शर्त रखी गई है, तो आज मोदी सरकार उन सारी सेवा शर्तों को कैसे संशोधित कर सकती है? इससे सैन्य अधिकारियों का मनोबल टूटेगा।
मोदी सरकार पर लगातार सेना विरोधी कार्य करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आज तक ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू नहीं किया गया। सेना की ‘नॉन फंक्शनल यूटिलिटी बेनेफिट स्कीम’ खत्म कर दी गई। यहां तक कि मोदी सरकार ने सेना की कैंटीन (सीएसडी) से सैनिकों द्वारा इस्तेमाल के लिए खरीदे जाने वाले सामान की मात्रा पर भी सीमा लगाई। इस सरकार ने सियाचिन और लद्दाख में सैनिकों के लिए खरीदे जाने वाले सर्दी के ईक्विपमेंट, जूते, बुलेटप्रूफ जैकेट की खरीद में भयंकर देरी की। ‘डिसएबिलिटी पेंशन पाने वाले सेना के अधिकारियों तथा सैनिकों पर टैक्स लगाया। साथ ही चीन की सीमा पर तैनात की जाने वाली 70 हजार सैनिकों वाली माउंटेन कोर का गठन भी मोदी सरकार ने पैसे की कमी बताकर खारिज कर दिया।