बुधवार से शुरू हुआ विटामिन ए संपूर्ण अभियान*
बुधवार से शुरू हुआ विटामिन ए संपूर्ण अभियान*
*बुधवार से शुरू हुआ विटामिन ए संपूर्ण अभियान*
*बच्चों को विटामिन “ए” की खुराक पिलाकर सीएमओ ने किया शुभारंभ*
आजमगढ़ :- जिले में बुधवार से शुरू हुआ बाल स्वास्थ्य पोषण माह अभियान। इस अवसर पर हरिहरपुर गाँव के सबसेंटर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी ने बच्चे को विटामिन ए की खुराक पिलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में खासकर ग्रामीण और गरीब परिवारों के बच्चों में कुपोषण को रोकना है।
इस मौके पर उन्होने कहा कि ब्लाक क्षेत्र में तीन अगस्त से बाल स्वास्थ्य पोषण माह मनाया जाएगा। जो कि तीन सितंबर तक चलने वाले इस अभियान में नौ माह से पांच वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जाएगी। इस अभियान के अंतर्गत समस्त उपकेंद्रों पर लगने वाले टीकाकरण सत्र के साथ ही विशेष सत्रों का भी आयोजन किया जाएगा। उन्होंने जनता से अपील की कोविड नियमों का पालन अवश्य करें। दो गज दूरी व हाथों की सफाई का विशेष ध्यान दें। अपर मुख्य चिकित्सा /नोडल अधिकारी डॉ संजय कुमार ने बताया बच्चों को आयरन सीरप व शिविर स्थलों पर माताओं को बच्चों के पोषण संबंधी जानकारी भी दी जाएगी। उन्होने कहा कि बच्चों को विटामिन-ए की नौ खुराक देने का प्रावधान है। नौ से 12 माह तक के बच्चों को एमआर प्रथम टीके के साथ आधा चम्मच विटामिन-ए,16 से 24 माह तक के बच्चों को एमआर दूसरे टीके के साथ पूरा चम्मच तथा दो से पांच वर्ष तक के बच्चों को छह-छह माह के अंतराल पर पूरा चम्मच विटामिन-ए की खुराक पिलाई जाएगी। विटामिन-ए से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही कोविड और रतौंधी व हड्डियों को मजबूत बनाने एवं घाव भरने में भी मदद करता है। अभियान के दौरान लोगों को आयोडीन युक्त नमक का सेवन करने और स्तनपान के बारे में भी जागरूक किया जाएगा। कुपोषित बच्चों की पहचान कर पोषण पुनर्वास केंद्र पर भर्ती कर उपचार कराकर कुपोषित श्रेणी से बाहर निकाला जाएगा। एक माह तक चलने वाले इस अभियान के दौरान प्रत्येक बुधवार और शनिवार को ही बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जाएगी। यूनिसेफ के जिला कार्यक्रम समन्वयक प्रवेश मिश्रा ने बताया कि इस अभियान में जिले के कुल 31568, एक से दो वर्ष के बच्चों की संख्या 118957 और दो से पाँच साल तक के बच्चों की संख्या 385418 का लक्ष्य है। नौ से बारह माह तक के बच्चों को आधा चम्मच यानी एक एमएल, एक से पांच साल तक के बच्चों को दो एमएल दवा दी जानी है। अभियान में यदि कोई क्षेत्र छूट जाता है,तो आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम अपने-अपने क्षेत्र के बच्चों को दवा पिलाने का काम करेंगी।