किसान बिल पर Committee में उन लोगों के नाम शामिल, जो पहले ही कर चुके कृषि कानूनों का समर्थन
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नई दिल्ली: चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने सोमवार को किसानो के के मुद्दे पर दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये। यहां तक संकेत दिया था|
न्यायालय ने कहा कि कोई ताकत हमें नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती है|
तथा हमें समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है ।
उसने किसान संगठनों से कहा, ‘‘ यह राजनीति नहीं है।
राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा।’’
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आगे कहा कि किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर ‘‘ जो लोग सही में समाधान चाहते हैं,
हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।
इन लोगो को कमेटी में मिली जगह
भूपिंदर सिंह मान, अशोक गुलाटी, अनिल घनवट और प्रमोद जोशी।
Committee में शामिल लोग कर चुके हैं इन कानूनों का समर्थन
(1) भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन यानी बीकेयू के अध्यक्ष हैं|
(2) कृषि विशेषज्ञ पद्मश्री अशोक गुलाटी।
(3) अनिल घनवट (शेतकारी संगठन)
(4) प्रमोद जोशी ( खाद्य नीति विशेषज्ञ)
आपको बता दें कि Agricultural laws को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी की रिपोर्ट आने और अगले आदेश तक कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसान कानून पर जारी गतिरोध करने के लिए जो कमेटी बनाई गई है.
उनमे उन नामों को तवज्जों दी गई है. जो पहले ही इन तीनों कानूनों का समर्थन कर चुके हैं.
ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि लगभग डेढ़ महीने से अधिक समय से जो किसान कड़ाके की ठण्ड में धरने पर बैठा है क्या? उन्हें उचित न्याय मिल पायेगा।
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