ग्रामीणों का सराहनीय निर्णय-यदि प्रत्याशियों ने पंचायत चुनाव में परोसी शराब तो होगा ये

नशा नाश की जड़ है।इस बात को जो समझ जाता है वह आबाद हो जाता है और जो नहीं समझता वह बर्बाद हो जाता है।ग्राम पंचायत चुनाव में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी वोटरों को लुभाने के लिए शराब को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।शराब के कारण ही चुनावी रंजिशें होती हैं।न जाने कितने घर भी बर्बाद हो जाते हैं।इस बात को गंगोह ब्लाक के गांव मुबारिकपुर के ग्रामीणों ने भली प्रकार से समझा है।ग्रामीणों ने एक मीटिंग कर निर्णय लिया है कि पंचायत चुनाव में यदि कोई भी प्रत्याशी शराब परोसेगा तो ग्रामीण उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार कर देंगे।कोई भी उसे वोट नहीं देगा।ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनावों में जो शराब परोसी जाती है उसका युवा पीढ़ी पर बहुत गलत असर पड़ता है।युवा पीढ़ी भी नशे की गिरफ्त में आ जाती है।घरों में लड़ाई झगड़े होते हैं और घर बर्बाद हो जाते हैं।ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पंचायत चुनाव के समय प्रत्याशी शराब पर बहुत मोटा पैसा खर्च करते हैं और जब चुनाव जीत जाते हैं तो विकास कार्यों को छोड़कर खर्च किए हुए पैसे का 3 से 4 गुना पैसा वसूलने में लग जाते हैं।गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हो पाता।ग्रामीणों ने निगरानी के लिए एक कमेटी का गठन किया है जो चुनाव में जांच करेगी कि कहीं कोई प्रत्याशी शराब तो नहीं पिला रहा है।

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वहीं चुनाव लड़ने के जो दावेदार हैं उनमें से एक योगेन्द्र कुमार सैनी का कहना है कि ग्रामीणों ने बहुत अच्छा निर्णय लिया है और वह उसका सम्मान करते हैं।नशा तो नाश की जड़ है।वह भी ग्रामीणों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे और चुनाव में किसी प्रकार के नशे को ग्रामीणों के सामने नहीं परोसेंगे। फिलहाल पूरे जनपद सहारनपुर में इस गांव के निर्णय की जमकर सराहना हो रही है।

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