बीजेपी में शीत युद्ध बंद होने का नहीं ले रहा नाम
बीजेपी में शीत युद्ध बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा है मगर यह शीत युद्ध कब महाभारत में बदल जाए कोई कह नहीं सकता, जैसा की आप सभी को पता है कि बीजेपी के जिला से लेकर राज्य और संगठन के अंदर उत्तर प्रदेश में इतनी खींचतान है और इतना मतभेद है की बीजेपी अपने कोर कार्यकर्ताओं और नेताओं की नाराजगी साफ दिखाई देती है
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच दूरियां मिटाने की पटकथा लिखने वाले संघ के दिग्गज नेताओं ने अब पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी और मन मुटाव दूर करने करने में लगे हुए हैं, जिसके चलते बीएल संतोष के दिल्ली वापसी के बाद उसी फार्मूले पर अमल करने की तरफ पार्टी आगे बढ़ रही है. सूत्र बता रहे है कि 22 जून को पार्टी कार्यालय पर हुई सरकार और और संगठन के समन्वय बैठक में कई पूर्व प्रदेश अध्यक्षों ने सरकार और संगठन के सामने कार्यकर्ताओं का दर्द बयां किया. कहा गया कि काम न होने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. इतना ही नहीं पार्टी के पुराने कार्यकर्ता जिनके उपर सपा और बसपा सरकार में मुकदमें दर्ज हुए वो अब तक वापस भी नहीं लिये गये. इस बीच कई मंत्रियों ने नौकरशाही के हावी होने का मुद्दा भी उठाया। लेकिन अब फीडबैक के आधार पर संगठन में कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की कवायद शुरू हो गयी है.
निगम, आयोग, बोर्ड और समितियों में नियुक्तियों के साथ कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेने की कार्यवाई भी शुरू की जा रही है. वहीं मंत्रियों से अपने अपने क्षेत्रों और प्रभार वाले जिलों में जाकर प्रवास पर कार्यकर्ताओं से संवाद कर उनकी नाराजगी दूर करने की जिम्मदादरी भी दी गयी है. सूत्रों की माने तो बीएल संतोष ने अपने संबोध में कहा है कि अब कमियां गिनवाने और नाराज होने का वक्त नहीं है. चुनाव में एकजुट होकर कार्य करने का वक्त है. हांलाकि इस बीच पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को भी उनके अनुभव के आधार पर विधानसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दिये जाने के कायस लगाये जा रहे है, ताकि वो पार्टी में उपेक्षित महसूस न कर सकें, मगर यह सब ऊपरी दिखावा है और भीतर कभी भी शीत युद्ध जारी है बस डर इस बात का केंद्रीय नेतृत्व को है कहीं यह शीत युद्ध महाभारत में ना बदल जाए।