कोयले की कमी: रिलायंस थर्मल पॉवर की एक यूनिट बंद, बिजली संकट बढ़ा
कोयले की कमी का असर रोजा के रिलायंस थर्मल पॉवर पर भी पड़ा है। कोयले की आपूर्ति पर बाधा आने पर रिलायंस को 300 मेगावॉट की एक यूनिट को बंद करना पड़ गया। जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में बिजली का संकट बढ़ गया है। देहात इलाकों में रात में कटौती को शुरू कर दिया। अक्टूबर में हो रही गर्मी में कटौती होने से लोगों में जबर्दस्त नाराजगी व्याप्त है।
पावर परियोजना से 1200 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। कंपनी के एचआर प्रबंधक धर्मेंद्र बैस ने बताया कि कोयले की ज्यादातर आपूर्ति झारखंड प्रांत से की जाती है। बरसात के सीजन के चलते बाढ़ आ गई थी। जिसके चलते कोयले की खादानों में पानी भर गया था। कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित होने पर एक सप्ताह में यूनिट को फिर से शुरू कर दिया जाएगा। बता दें कि 300 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति वाली यूनिट बंद होने का असर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ा है। ग्रामीण इलाकों में रात की कटौती को शुरू कर दी गई। इससे ग्रामीण इलाकों के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक रात में चार से पांच घंटे तक पॉवर कट हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ रिलायंस के अफसर ऐसा होने से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि पॉवर परियोजना पहले ग्रिड को सप्लाई देती है। उसके बाद सरकार के आदेश पर जिलों में सप्लाई दी जाती है।
पीएम को लिखा पत्र:
यूपी सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने और प्रदेश को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकारी स्वामित्व वाली विद्युत इकाइयों में कोयले की जबर्दस्त किल्लत के कारण बिजली उत्पादन बहुत कम हो गया है जिसके कारण गांवों तथा कस्बों में बिजली की अत्यधिक कटौती की जा रही है। ऊर्जा विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इन इलाकों में साढ़े तीन से सवा छह घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है।
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया द्वारा किए जाने वाले कोयले के उत्पादन में काफी गिरावट आई है, क्योंकि ईस्टर्न कोलफील्ड (सिंगरौली, झारखंड और बिहार में) और सेंट्रल कोलफील्ड (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में सितंबर के अंत में बहुत ज्यादा बारिश होने के कारण कोयला खदानों में पानी भर गया है। मौजूदा हालत यह है कि प्रतिदिन 25 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता की तुलना में मात्र 16 लाख 50 हजार मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति हो रही है।