गोरखपुर : खुद की सरकार में पार्क के घटिया निर्माण कार्य को देखकर बिफरे सीएम योगी के विधायक
गोरखपुरः खुद की सरकार में पार्क में घटिया निर्माण कार्य देखकर भला कोई विधायक भड़क जाए, तो इसमें हैरानी की बात नहीं है. वो भी तब जब उसे ये पता चले कि आसपास के लोगों के पूछने पर कार्यदायी संस्था के ठेकेदार किसी विधायक जी का काम बताकर मुंह बंद रखने की हिदायत दे रहे हों. विधायक की मानें तो जब उन्होंने और डीएम ने एक्सीएन को कॉल की, तो उसने कॉल रिसीव नहीं की. निर्माण कार्य की जांच में उन्होंने खुद अपने हाथ से दो ईंटों को लड़ाया, तो वे भर-भराकर टूट गईं. इसके साथ ही 9 इंच की दीवार में जहां 16/1 के मसाले का इस्तेमाल हो रहा था. वहीं दीवार को पिलर के अभाव में बगैर नींव खोदे ही बनाया जा रहा था.
गोरखपुर के आवास विकास परिषद की विकासनगर-विस्तार कालोनी में बनाए जा रहे पार्क के घटिया निर्माण कार्य की शिकायत नगर विधायक डा. राधा मोहन अग्रवाल को मिली थी. उन्होंने बताया कि उन्हें कार्यकर्ताओं के माध्यम से घटिया निर्माणा की सूचना मिली थी. वे निर्माण कार्य देखने आए हैं. नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने बताया कि काम कर रहे लोगों ने बताया है कि वे किसी विधायक के आदमी हैं. वे काम नहीं छोड़ेंगे. अच्छी क्वालिटी की ईंट और घटिया क्वालिटी की ईंट की यही पहचान है कि उसे लड़ाया जाता है, तो भरभराकर छूट जाता है. मसाले का रेशियो लोगों ने निकाल दिया. कल हमारे मंडल अध्यक्ष ने जेई को रेशियो निकालकर दिखाया था, लेकिन इसने आंख मूंद लिया और काम होने दिया.
नगर विधायक ने बताया कि 4 करोड़ का काम है. तकरीबन 13 पार्क, डेढ़ से दो किमी सड़क और नाली का सुधार कार्य होना है. एक बार पहले भी बन चुकी है. इसी घटिया काम के नाते धीमे-धीमे सालभर में पार्क गायब हो गए और लोग इसका सारा ईंटा चुरा ले गए. जब इतना घटिया ईंटा लगेगा, तो आप साल-दो साल में आप आसानी से ईंट निकाल सकते हैं. लोग अपने घरों के अंदर इसका इस्तेमाल कर लेंगे. आज मैंने स्वयं इसे पकड़ा है. व्यवस्था कितनी खराब है कि आवास विकास के एक्सीएन ने न तो मेरा फोन उठाया और न ही जिलाधिकारी का फोन उठाया. नगर विधायक ने कहा कि मैंने जिलाधिकारी से फोन करवाने के लिए कहा, तो उन्होंने फोन करवाया. लेकिन, फोन रिसीव नहीं हुआ.
नगर विधायक ने जब जिलाधिकारी से किसी अधिकारी को भेजने के लिए कहा तो ये एक्सीएन से घटकर एई और बाद में जेई पर आ गया और काम आपके सामने है. अभी तो मुझे ये भी नहीं मालूम है कि वास्तव में इन्होंने क्या इस्टीमेट बनाया है. सफाई दे रहे थे कि 9 इंच की दीवार है, इसलिए इसमें पिलर नहीं है. मैंने नींव खोदवाई है, तो इसमें नींव खोदी नहीं गई है. ऊपर से दीवार चला दी गई है. जब मैंने इसका कारण पूछा, तो ये सफाई देने लगे कि ऊपर से मिट्टी डालनी है, इसलिए नींव नहीं खोदी गई है.
डा. राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि अभी तक वे पहली ऐसी दीवार की परिभाषा सुन रहे हैं. दीवार बनती है, तो नींव खोदकर उसका बेस बनाया जाता है. उस बेस पर दीवार चलाई जाती है. जिससे कि वे दीवार खड़ी रहे. नींव डाली ही नहीं गई और दीवार खड़ी कर दी गई. लोहे की ये छड़ तीन से चार सूत का लग रहा है. अब वे कागज में देखेंगे कि कितने सूत का है. उन्होंने कहा कि वे डीएम को रिपोर्ट करने वाले हैं. एक्सीएन, एई और जेई को मुझे सारे कागज दिखाने होंगे. उन्होंने कहा कि जब तक वे कागज नहीं दिखाएंगे, उन्हें यहां काम नहीं करना है. जेई को वे साफ-साफ कहूंगा, कि कल बताने के बावजूद उन्होंने लापरवाही बरती है. वे खुद तय कर लें कि अपने पाप का दंड भुगतेंगे या फिर अपने पाप से मुक्त होंगे. मुक्त होना चाहते हैं कि वे पार्क को फिर से तोड़कर मानक के हिसाब से बनवाएं. मैं किसी की नौकरी नहीं लेना चाहता हूं.