पर्यावरण दिवस और योगी का जन्मदिन
योगी सरकारनामा : पर्यावरण के संतुलन की सीख से सुशासन देता है संयासी शासक
पत्रकार नवेद शिकोह कि कलम से
आज मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी का जन्मदिन और पर्यावरण दिवस है। किसी योगी/संयासी को भगवान की आराधना के लिए और किसी शासक को राजधर्म निभाने के लिए प्राकृतिक नियमों पर चलना पड़ता है। प्राकृति का सबसे महत्वपूर्ण नियम है- संतुलन।
क़ुदरत का सबसे खूबसूरत चेहरा और सिस्टम पर्यावरण बहुत कुछ सिखाता है और दिखाता है। दुनियाभर में प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करने की सज़ा में दुनिया वैश्विक महामारी की सजा भुगत रही है। इसलिए इस संकट से बचने के लिए एक संयासी शासक संतुलन की ताकत से महामारी के संकट से निकलने के रास्ते निकाल रहे हैं।
एक योगी का जीवन भी भगवान की कुदरत के हिदायतों पर चलने कटिबद्ध होता है। प्रकृति का सिस्टम पर्यावरण संतुलन पर आधारित है। रामायण में श्री राम चंद जी का संवाद फिर याद आता है- ‘एक संयासी बेहतर राजा हो सकता है’।
संयासी या योगी का जीवन आध्यात्मिक होता है। कोई भी योगी पूरी तरह से भगवान की गायड लाइन पर चलता है। भगवान की प्रकृति के नियम पर्यावरण में छिपे हैं। इसे खोजिएगा तो संतुलन सबसे बड़ा पाठ होगा। इसलिए एक संत की आराधना भी संतुलन का पालन करती है और एक राजा या शासक के लिए भी राजधर्म निभाने के लिए संतुलन को अपनाना पड़ता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कोरोना काल के संकट में भी संभावनाएं तलाश रहे है। जनता, जनप्रतिनिधियों, नोकरशाहों और सरकार, सब में बेहतर संतुलन ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई को योगी सरकार ने सबसे बड़ा हथियार बनाया है। इसके अलावा किसी भी प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार के साथ संतुलन बना भी बड़ी खूबी होती है।
लोकल ग्लोबल बने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये लक्ष्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे कुशलता से ज़मीन पर उतार रहे हैं। आर्थिक सुधारों के लक्ष्य रूपी रथ को आगे बढ़ाने में योगी आदित्यनाथ मोदी के मजबूत सार्थी बनने की तैयारियां पहले से ही शुरु कर चुके हैं। कोरोना काल में आर्थिक सुधारों की रणनीति बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो योजना सामने रखी है उसपर मुख्यमंत्री योगी पूरी शिद्दत से अमल कर रहे हैं। अपने संसाधनों को मजबूत करने और आत्मनिर्भर बनने के साथ आर्थिक सुधारों के लिए प्रधानमंत्री ने जो राह दिखाई है उसपर उत्तर प्रदेश सरपट दौड़ रही है। इस प्रदेश के तमाम लोकल हुनर ग्लोबल साबित हो भी चुके थे। लेकिन यूपी की पिछली सरकारों की उदासीनता ने इस सूबे की जिन्दा औद्योगिक खूबियों को मृत्युशैया पर ला दिया। मुख्यमंत्री योगी ऐसे तमाम हुनरों को पुनः नई जिन्दगी देकर प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य को गति देने में लग गये हैं। दुनिया में मशहूर लखनऊ की चिकनकारी हो आरी-जरदोजी या बनारस की बनारसी साढ़ी। मुरादाबाद की नक्काशी, भदोही के कालीन या अलीगढ़ के ताले.. ऐसे तमाम हुनरों के विकास से यूपी की औद्योगिक दमक एक बार फिर दुनिया के मानचित्र में अपनी बड़ी पहचान बना सकती है। योगी सरकार वैश्विक महामारी से आर्थिक मंदी के इस दौर में प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में यूपी की हुनरमंदी को ताकत बनाकर इन कठिन परिस्थितियों से लड़ने की तैयारियां में जुटी है। इसी क्रम में पलायन रोकने के लिए योगी सरकार MSME सेक्टर में नब्बे लाख रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रख चुकी है।
सब जानते हैं कि यूपी अपने हुनर और तमाम संसाधनो का धनी रहा है। इस सूबे की श्रमिक शक्ति से लेकर तमाम हुनर और आत्मनिर्भरता आर्थिक सुधारों के लिए रामबाण साबित हो सकती है। दुनियाभर के निवेशकों को आकर्षित करने वाली योगी सरकार करीब चार इनवेस्टमेंट समिट के सफल आयोजन पिछले तीन वर्षों में कर चुकी है। अब जब कोविड 19 के भयावह हालात सामने आये तो उत्तर प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा। मजदूरों का पलायन बड़ा संकट बना। इस संकट से निपटने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सराहनी कोशिशों से अब तक किसी हद तक कुशलता भी हासिल की। करीब बीस लाख प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के प्रबंध किये।
मुख्यमंत्री योगी अपने योग्य नौकरशाहों वाली टीम इलेवन के साथ मजदूरों के सरवाइव का खाका तैयार कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने लेबर रिफार्म कानून की जरुरत महसूस की। उत्तर प्रदेश के गांव और कस्बों में ही गरीब, मजदूर,श्रमिक, कामगार मेहनतकशों को रोजगार देने की योजना बनाई।
मौत,महामारी और मुफलिसी की धुंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को आशा की किरण दिखाई है। मंदी, बेरोजगारी, ग़रीबी और भुखमरी के ख़ौफ में घबराने के बजाय हम अपने संसाधन मजबूत करें।अपनी ताकत को पहचाने।श्रम, टैक्नालॉजी, वैज्ञानिक क्षमताओं, हस्त शिल्प, सृजनात्मकता का सदुपयोग करके आत्मनिर्भर बनें। ऐसे में चीन से नाराज़ दुनिया हमें निवेश का विकल्प मानेगी। अमेरिका और जापान जैसे तमाम देश भारत में निवेश कर खुद को और भारत को आर्थिक सुधारों की दिशा में आगे ले जा सकते हैं।
कुछ इस तरह कोरोना काल की मंदी से निपटने का एक बेहतरीन रोड मैप तैयार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक संकट में भारत को संकट मोचन के रूप में तैयार करने का इशारा किया है। बीस लाख करोड़ के आर्थिक पैकज की घोषणा के बाद अब यूपी सहित पूरे देश में इस राहत पैकेज की तेजी से जमीन पर उतारा जा रहा है।
कोविड 19 के संकट के समय में गरीब मजदूर-श्रमिक जो सबसे अधिक परेशान है, ऐसे ही वर्ग की बहाली और इनकी ताकत को ही प्रधानमंत्री ने आर्थिक सुधारों का आधार बनाया है।
यूपी देश का ऐसा सूबा है जहां लोकल उद्योग को ग्लोबल बनाने की सबसे अधिक संभावना है। इसलिए यदि योगी और मोदी जैसे संन्यासियों की जोड़ी का तप रंग लाया तो भारत चीन का विकल्प बनके एक तिहाई दुनिया की जरूरतों के उत्पाद बना सकता है। संकट के इस कोरोना काल में यदि भारत अपने इस लक्ष्य को पूरा कर आर्थिक सुधार का इतिहास रच ले तो इस बात में कोई शक नहीं कि इक्कीसवीं सदी भारत की होगी।
आज कोरोना की वैश्विक महामारी से देश-दुनिया मुश्किल समय मे है। दुनिया के तमाम विकसित देशों की अपेक्षा भारत ने कोरोना को काबू करने में किसी हद तक सफल रहा है। और देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा में उत्तरप्रदेश जैसा बड़ी आबादी वाले राज्य में संक्रमित लोगों की संख्या काफी कम है। यहां भी मुख्यमंत्री योगी नौकरशाहों के साथ संतुलन बना कर ना सिर्फ़ कोरोना संक्रमण पर काबू कर रहे हैं बल्कि संकट में भी रोजगार की संभावनाओं के लिए काम कर रहे हैं। ग्यारह आलाधिकारियों की टीम इलेवन की टीम के साथ योगी यूपी को कोरोना संकट से निकालने के लिए दिनों-रात मेहनत में जुटे हैं।
कोरोना काल में यूपी के मुखिया का ये संघर्ष नया नही है।
करीब सवा तीन वर्ष पूर्व जनाधार की वर्षा और जनसमर्थन के विश्वास के प्रकाश मे जब आदित्यनाथ योगी को देश के सबसे बड़े सूबे के मुखिया का दायित्व दिया तब इस सूबे की हालत नाजुक थी। प्रदेशवासी जातिवाद की सियासत से दुखी हो चुके थे। भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण ने उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्यों की श्रेणी मे खड़ा कर दिया था। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो जनता को लगा कि एक बीमार राज्य को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए आध्यात्मिक और लोकतांत्रिक शक्तियों के साथ कोई चिकित्सक मिल गया हो। मुख्यमंत्री योगी प्रदेश की जनता की उम्मीद पर खरे उतरे।
प्रदेश प्रगति के पथ पर गति पकड़ रहा था और इस सत्य के विरुद्ध विनाशकारी असुर शक्तियां झूठ के कांटों से विकास पथ को अवरुद्ध करने पर आमादा रहीं। इस चुनौती के मोर्चे पर योगी सरकार का सूचना तंत्र सच की ढाल लेकर हर झूठ की पोल खोलता रहा।
प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी से लेकर सूचना विभाग के निदेशक शाशिर सिंह की कर्मठ कार्यशैली ना सिर्फ सरकार की जनहित योजनाओं और जनता के बीच सेतु बनी बल्कि प्रदेश विरोधी शक्तियों की झूठी अफवाहों को भी सूचना विभाग बेनकाब करता रहा।
योगी सरकार दिन प्रतिदिन सूबे को प्रगति और उन्नति की राह पर आगे बढ़ाती रही। जनहित मे कल्याणकारी योजनाओं का सिलसिला तेज हो गया। गरीब-किसान राहत की सास लेने लगे। भ्रष्टाचार पर लगाम लगने लगी। अल्पसंख्यकों मे विश्वास जगा। कानून व्यवस्था सुधरने लगी। जनहित की ये सारी उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकता है इसलिए विरोधियों ने सच के ऊपर झूठ को लाकर सच दबाने का असफल प्रयास शुरू कर दिया। कभी मॉब लिचिंग.. कभी.. बच्चा चोरी तो कभी मंदी का खौफ दिखाकर अफवाहों का बाजार जारी रखा गया। योजनाबद्ध और संगठित तरीके से झूठ फैलाने का एजेंडा चलाने वालों की योगी सरकार के सूचना तंत्र ने चलने नहीं दी। प्रमुख सचीव सूचना के कुशल नेतृत्व मे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक शिशिर सिंह की कार्यकुशलता जनहित मे सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से एक एक आम जनता को भलीभांति अवगत करा रही है।
इतिहास गवाह है कि हर राजा की सफलता में उसके सेनापति की अहम भूमिका रही है। हांलाकि ये उस राजा का ही विवेक होता है जो वो बुद्धिमान, ईमानदार, कर्मठ, अनुभवी और समर्पित शख्स को अपना सेनापति चुनता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी योग्यता के अनमोल हीरों को पहचानने के कुशल जौहरी भी हैं। सब जानते हैं कि बेहतर सरकार चलाने के लिए नौकरशाही की खान से योग्यता के बेशकीमती मोतियों को परखने का हुनर बेहद ज़रूरी होता है।
राजनेता को जब योग्यता की परख होती है तब ही वो कामयाबी के रास्ते आगे बढ़ता है।और जब सफलताएं क़दम चूम रही हों तो बेबुनियाद आलोचनाएं होना भी स्वाभाविक है। मुख्यमंत्री योगी पर भी तमाम आधारहीन आरोप लगे। विरोधियों ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री क्षत्रिय अधिकारियों को ज्यादा वरीयता देते है। लेकिन ये कोरा झूठा आरोप है। सच कुछ और है। यूपी की योगी सरकार की गुड गवर्नेंस की सबसे बड़ी वजह ये है कि मुख्यमंत्री योगी ने योग्यता और परफार्मेंस वाद पर अमल किया और वो जातिवाद के मुखालिफ रहे। योगी जी जातिवाद के विरोधी नहीं होते तो यूपी में जातिवाद के जहरीले समुंद्र को सुशासन से मथ कर विकास का अमृत नहीं निकाल पाते।
माना कि जबरदस्त मोदी लहर बढ़ती जा रही है। केंद्र सरकार के सुशासन ने भाजपा के प्रति जनविश्वास बढ़ाया। इसके बावजूद भी पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए यूपी फतह करना बड़ी चुनौती थी। विरोधियों ने जातिवाद के कुप्रचार से एक बार फिर प्रदेशवासियों को धर्म-जाति के चक्रव्यूह में फंसाने की साजिशे तेज कर दीं थी। बेलगाम सोशल मीडिया प्रोफेशनल मीडिया पर हावी था। ऐसे में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी और सूचना निदेशक शिशिर ने झूठ, कुप्रचार और अफवाहों के खिलाफ सच की ताकत को सशक्त हथियार बनाया। उत्तर प्रदेश की जनकल्याकारी योजनाओं, उपलब्धियों और विकास कार्यों को जन-जन तक पंहुचाया। और सच के जरिए योगी के सूचना तंत्र ने जातिवाद के दानव को मार गिराया। सरकार विरोधियों का झूठ धराशाही हो गया और कुप्रचार की एक ना चली। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में जातिवादी गठबंधन के चक्रव्यूह को धराशायी कर दिया। योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं, बेहतर कानून व्यवस्था, तमाम उपलब्धियों और विकास के सच के आगे जातिवाद की साजिशें ओंधे मुंह गिर गयीं।
मुख्यमंत्री को ये ज़रूर महसूस हुआ होगा कि उनका सूचना तंत्र सशक्त है। शायद इसीलिए आगे की एक और बड़ी चुनौती से मुकाबले के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने प्रमुख सचिव सूचना की जिम्मेदारियों का दायरा और भी बढ़ा दिया। श्री अवस्थी को अपर मुख्य सचिव और गृह विभाग की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई। ये वो वक्त था जब राम जन्म भूमि मामले पर अत्यंत महत्वपूर्ण, बहुचर्चित- बहुप्रतिक्षित और संवेदनशील ऐतिहासिक फैसला आना था। देश दुनियां की निगाहें उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर थी। इनपुट मिल रहे थे कि भारत विरोधी दुनियाभर की आतंकी शक्तियां इस फैसले पर देश की शांति व्यवस्था भंग करने की साजिश रच रही हैं। और इस तरह की साजिश रचने के लिए उत्तर प्रदेश को साजिश का केंद्र बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त देश विरोधी ताकतों ने सोशल मीडिया के माध्यम से नफरत फैलाने, साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने, भावनाएं भड़काने और अफवाहे फैलाने की योजना तैयार की है।
अयोध्या मामले पर फैसला आने से पहले और फैसला आने के बाद की जबरदस्त चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सूचना/गृह जैसे सभी ओहदों की जिम्मेदारी निभाने के लिए योगी सरकार के इस कर्मठ अफसर ने दिनो रात मेहनत की। बताया जाता है कि एक महीने तक श्री अवस्थी रोज़ करीब 18 घंटे काम करते रहे। शांति, सौहार्द और कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए उन्होंने पुलिस अधिकारियों को विशेष कार्ययोजना पर काम करने की सलाह दी। प्रदेश के चप्पे चप्पे पर खुफिया तंत्र तैनात रहा। हर छोटा बड़ा पुलिस अधिकारी शासन को पल-पल की रिपोर्ट देता रहा और हर अधिकारी को शासन स्तर से मार्गदर्शन, सहयोग और प्रोत्साहन मिलता रहा। अधिकारियों को ये भी निर्देश दिए गये कि स्थानीय जनता के साथ पुलिस सामंजस्य बना कर रखे। पुलिस और पब्लिक के दोस्ताना रिश्ते में सौहार्द कायम करने के लिए भाईचारा कमेटियों ने सद्भावना का माहौल कायम किया। सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ाई गई। नफरत और अफवाहें फैलाने वालों को तुरंत चिंहित कर अराजक तत्वों की गिरफ्तारी हुई। पहली बार बेलग़ाम सोशल मीडिया पूरी तरह से नियंत्रित रही। झूठ, अफवाह और नफरत की गंदगी से मुक्त होकर सोशल मीडिया शांति और सौहार्द की अपीलों का प्लेटफार्म बन गई। बताया जाता है कि इस तरह की तमाम तैयारियों की रणनीति के लिए कई बार अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने दिनों-रात काम किया।
इसलिए ही अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव सूचना-गृह अवनीश अवस्थी सूबे के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की आंखों के तारे और अत्यंत भरोसेमंद अफसर बन गये हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री उन अफसरों को ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देते हैं जो कर्मठ,ईमानदार, योग्य और अपनी जिम्मेदारियों के प्रति समर्पित हो।
यही सब कारण हैं कि कोरोना से लड़ने के लिए अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी सहित प्रदेश के कर्मठ अफसरों की टीम इलेवन की कार्यकुशलता नजर आने लगी है।
और फिर एक बार त्रेता युग में भगवान श्री रामचंद्र जी का एक संवाद वर्तमान युग में भी सटीक बैठ रहा है- “एक संयासी अच्छा राजा बन सकता है”।