जानिए क्यों खास हैं पं. गोविंद बल्लभ पंत, जिन पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्रृद्धा सुमन किए अर्पित

आज भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत की 133वीं जयंती हैं। इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पं. गोविंद बल्लभ पंत को श्रृद्धा सुमन अर्पित किए हैं। इस दौरान उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पं. गोविंद बल्लभ पंत के बारे में लिखा है कि पं. गोविंद बल्लभ पंत का संर्घशषील एवं प्रेरणादायी नेतृत्व देशवासियों के लिये सदैव प्रेरणादायी रहेगा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लिखा है की “महान स्वतंत्रता सेनानी, एक कुशल प्रशासक एवं उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री, भारत रत्न “पं गोविंद बल्लभ पंत जी” की जयंती पर उन्हें कोटि कोटि वंदन। पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी का संर्घशषील एवं प्रेरणादायी नेतृत्व देशवासियों के लिये सदैव प्रेरणादायी रहेगा।”

बता दें कि भारत रत्न” पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी आधुनिक उत्तर भारत के निर्माता के रूप में याद किये जाते हैं। वह देश भर में सबसे अधिक हिन्दी प्रेमी के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने 4 मार्च, 1925 को जनभाषा के रूप में हिन्दी को शिक्षा और कामकाज का माध्यम बनाने की जोरदार मांग उठाई थी। महात्मा गांधी ने कहा था कि राष्ट्र भाषा के बिना देश गूंगा है। मैं हिन्दी के जरिए प्रान्तीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता किन्तु उनके साथ हिन्दी को भी मिला देना चाहता हूँ। पंत जी के प्रयासों से हिन्दी को राजकीय भाषा का दर्जा मिला। पंत जी ने हिन्दी के प्रति अपने अत्यधिक प्रेम को इन शब्दों में प्रकट किया है− हिन्दी के प्रचार और विकास को कोई रोक नहीं सकता। हिन्दी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है।

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