अयोध्या में विवादास्पद ढांचा गिराने के मामले में कोर्ट के फैसले पर बोले सीएम त्रिवेन्द्र – ‘सत्यमेव जयते’
देहरादून : अयोध्या में 1992 में विवादास्पद ढांचा गिराए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा आज सभी आरोपितों को बेइज्जत बरी कर दिया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बंशीधर भगत ने स्वागत किया है। इन नेताओं ने अदालत के फैसले को सत्य की जीत बताया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लखनऊ की विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे सत्य और न्याय की जीत हुई है। इससे स्पष्ट हो गया कि राम मंदिर आंदोलन एक लोकतांत्रिक तरीके से किया गया आंदोलन था। इसमें कहीं कोई षड्यंत्र नहीं था। सत्यमेव जयते।
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने अदालत का फैसला आने पर लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास, साध्वी ऋतम्भरा, चम्पत राय, विनय कटियार, राम विलास वेदांती, महंत धरम दास, पवन पांडेय, ब्रज भूषण शरण सिंह, जयभान सिंह पवैया सहित जीवित 32 नेताओं व महंतों को बरी किए जाने पर ख़ुशी जताते हुए देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। विधानसभा अध्यक्ष ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए सत्य व न्याय की जीत बताया है। अग्रवाल ने कहा कि कार सेवक होने के नाते इस फैसले से आज पूरा देश खुश है।
गौरतलब है कि प्रेम चंद अग्रवाल श्रीराम कार सेवा समिति देहरादून के ज़िला संयोजक रहे हैं और उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए सपरिवार आंदोलन में न केवल सक्रिय भूमिका निभाई, बल्कि जेल की यात्राएं भी की हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सत्य की ही सदा जीत होती है। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, चंपत राय सहित सभी 32 लोगों को अपनी बधाई दी है। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष के अपने शासकीय आवास देहरादून में मिठाई वितरित कर खुशी मनाई।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधायक बंशीधर भगत ने भी विवादास्पद ढांचा मामले पर न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अंततः सत्य की जीत हुई है। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे और कारसेवा समिति के जिलाध्यक्ष रह चुके बंशीधर भगत ने कहा कि 28 वर्ष तक मुक़दमा चलने के बाद आया न्यायालय का यह निर्णय स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि हम शुरू से कहते थे और आज भी हमारा यही कहना है कि श्रीराम मंदिर का विषय राजनीति का नहीं अपितु आस्था का विषय है। हालांकि अन्य दल इस पर राजनीति करते रहे और इस मुक़दमे को लेकर हर चुनाव में भाजपा को आरोपित करते रहे लेकिन आज जो निर्णय आया, जिसने सारी बात को साफ़ कर दिया। आख़िर सत्य को विजय मिली है।