गर्म हो रही धरती, बदल रहे जानवर
जलवायु परिवर्तन के असर से बचने के लिए चिड़ियों की चोंच, पंख और स्तनधारियों के कान का आकार बढ़ रहा; जानिए इनमें कितना हो रहा बदलाव
जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा बदलाव चिड़ियों में देखने को मिल रहा है। जैसे- 1871 से अब तक ऑस्ट्रेलियाई तोते की चोंच में 10 फीसदी तक बढ़ोतरी देखी गई है।
जलवायु परिवर्तन का जैसे-जैसे असर बढ़ रहा है, धरती की गर्मी बढ़ रही है। इसका असर जानवरों पर भी पड़ रहा है। बढ़ते तापमान के असर से निपटने के लिए जानवर और पक्षी अपने अंदर कुछ बदलाव ला रहे हैं। जैसे- चिड़ियों की चोंच बढ़ रही है। स्तनधारियों के कान बड़े हो रहे हैं ताकि ये इन्हें हिलाकर शरीर की अतिरिक्त गर्मी को कम कर सकें।
जानवरों के आकार में 10 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई
जलवायु परिवर्तन का जीवों का क्या असर पड़ रहा है, इस पर रिसर्च करने वाली ऑस्ट्रेलिया की डेकिन यूनिवर्सिटी का कहना है, अब तक हुई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जानवर अपना आकार बदल रहे हैं। इनके शरीर के किसी न किसी हिस्से में 10 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है।
शोधकर्ता सारा रायडिंग कहती हैं, काफी समय से चर्चा की जा रही है कि क्या इंसान जलवायु परिवर्तन से उबर पाएगा, क्या कोई तकनीक इसका समाधान कर सकती है? इसका असर जानवरों में भी दिखने लगा है। हालांकि कुछ जानवर इससे उबरने के लिए खुद में बदलाव ले आएंगे। कुछ ऐसे भी हैं जो खुद को इसके मुताबिक नहीं बदल पाएंगे।
जानवरों में आकार बदलने के प्रमाण मिले
सारा कहती हैं, हमनें पूरी टीम के साथ मिलकर कई अध्ययनों की एनालिसिस की और देखा कि जलवायु परिवर्तन के कारण अलग-अलग प्रजातियों पर क्या असर पड़ रहा है। रिपोर्ट में सामने आया ऑस्ट्रेलियाई तोते से लेकर चीनी चमगादड़ और सुअर से लेकर खरगोश तक में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि ये जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए अपने शरीर में बदलाव ला रहे हैं।
सबसे ज्यादा बदलाव चिड़ियों में देखने को मिल रहा है। जैसे- 1871 से अब तक ऑस्ट्रेलियाई तोते की चोंच में 10 फीसदी तक बढ़ोतरी देखी गई है।
1978 से लेकर 2016 इकट्ठा की गईं इन प्रवासी चिड़ियों का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि इनके शरीर का आकार छोटा हुआ और पंख बढ़े हैं।
चिड़ियों के शरीर का आकार घटा, पंख बड़े हुए
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की हालिया रिसर्च कहती है, जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों का शरीर सिकुड़ रहा है और पंख बढ़ रहे हैं। उत्तरी अमेरिका की 52 प्रजातियों की 70,716 प्रवासी चिड़ियों पर हुई रिसर्च में कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। पिछले 40 सालों में इकट्ठा की गईं इन चिड़ियों का विश्लेषण किया गया।
शोधकर्ताओं का कहना है, 1978 से लेकर 2016 तक इकट्ठा की गई चिड़ियों की प्रजाति की लंबाई नापी गई। इनकी लम्बाई का सबसे बड़ा मानक होती है पैर की हड़डी। चिड़ियों की पैरों की लम्बाई 2.4 फीसदी तक घटी है और पंखों की लंबाई 1.3 फीसदी तक बढ़ी है। शोध के मुताबिक, तापमान बढ़ने से शरीर का आकार सिकुड़ रहा है और पंखों का साइज बढ़ रहा है।
इंसानों पर असर: इंसान की लम्बाई और दिमाग छोटा हो सकता है
कैम्ब्रिज और टबिजेन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है, जलवायु परिवर्तन इंसान की लम्बाई और दिमाग को छोटा कर सकता है। पिछले लाखों सालों में इसका असर इंसान की लम्बाई-चौड़ाई पर पड़ा है। इसका सीधा कनेक्शन तापमान से है। जिस तरह से साल-दर-साल तापमान में इजाफा हो रहा है और गर्मी बढ़ रही है, उस पर वैज्ञानिकों की यह रिसर्च अलर्ट करने वाली है।
हर जीवाश्म ने जलवायु परिवर्तन की मार झेली
रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने दुनियाभर से इंसानों के 300 से अधिक जीवाश्म देखे। इनके शरीर और ब्रेन के आकार की जांच की। जांच में सामने आया कि इंसानों के हर जीवाश्म ने जलवायु परिवर्तन की मार झेली है।
अफ्रीका में इंसानों की प्रजाति होमो की उत्पत्ति 3 लाख साल पहले हुई थी, लेकिन ये इससे भी ज्यादा पुराने है। इसमें इंसानों की और प्रजातियां भी शामिल हुईं, जैसे- नियंडरथल्स, होमो इरेक्टरस, होमो हेबिलिस।
इंसानों के विकास पर गौर करें तो इनके शरीर और मस्तिष्क का आकार बढ़ता रहा है। वर्तमान इंसान की तुलना में होमो हेबिलिस 50 गुना अधिक भारी थे और इनका दिमाग 3 गुना तक बड़ा था।
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की हालिया रिसर्च रिपोर्ट में शार्क और रे मछलियों के घटने की एक वजह जलवायु परिवर्तन को बताया गया है।
मछलियों पर असर: शार्क और रे मछलियों की संख्या घट रही
दुनिया में मौजूद 40 फीसदी तक शार्क और रे मछलियां विलुप्ति की कगार पर हैं। इसकी वजह है जलवायु परिवर्तन और जरूरत से ज्यादा मछलियों का शिकार। मछलियों पर 8 साल तक हुई रिसर्च में सामने आया है कि 2014 के इनकी विलुप्ति का खतरा 24 फीसदी था जो अब बढ़कर दोगुना हो गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है, जलवायु परिवर्तन ऐसे मछलियों के लिए समस्या बढ़ा रहा है। इससे न सिर्फ उनके मनमुताबिक आवास के लिए माहौल में कमी आने के साथ समुद्र का तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। यह दावा अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की रिसर्च रिपोर्ट में किया गया है।