CJI एन. वी. रमण ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू को क्यों कहा शुक्रिया? यहां जानिए सबकुछ

नई दिल्ली. देश के न्यायालयों में जजों की कमी की बात अक्सर सामने आती रही है. अदालतों में सालों से लंबित मुकदमों के लिए जजों की कमी को भी एक कारण बताया जाता है. इस बीच, आज चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एन. वी. रमण ने केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू को शुक्रिया कहा है और रिकॉर्ड बनाने के लिए धन्यवाद भी दिया. दरअसल, कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में रिकॉर्ड एकसाथ 9 जजों ने शपथ ली थी. चीफ जस्टिस रमण इसी का हवाला देते हुए कहा कि कानून मंत्री ने सिर्फ 6 दिनों में 9 नामों को मंजूरी दे दी.

इसके साथ ही एन.वी. रमण ने कहा कि एक महीने के भीतर उच्च न्यायालयों में कम-से-कम 90 प्रतिशत रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी. समाचार एजेंसी एएनआई ने 4 सितंबर को सीजेआई रमण के हवाले से कहा, ‘उच्च न्यायालयों में कम से कम 90 प्रतिशत रिक्त पदों को एक और महीने में भर दिया जाएगा.’ उच्च न्यायपालिका में रिक्त पदों की वजह से भारत में लंबित मामलों की संख्या काफी है. यही नहीं, इसी कारण से न्यायालयों में शेष काम भी काफी बचा हुआ होता है, जो न्याय वितरण प्रणाली को धीमा कर देता है.

उच्चतम न्यायालय में बना इतिहास, नौ नये न्यायाधीशों ने पहली बार एक साथ शपथ ली
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में बीते 31 अगस्त को उस वक्त इतिहास रचा गया जब पहली बार नौ नए न्यायाधीशों ने एक साथ पद की शपथ ली. नए न्यायाधीशों के शपथ लेने के साथ ही उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की संख्या 33 हो गई है. शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ लेने वाले नौ नए न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना शामिल थे इनके अलावा भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और पी.एस. नरसिम्हा को भी पद की शपथ दिलाई.

शपथ लेने वालों में तीन महिला न्यायाधीश भी शामिल
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में 31 अगस्त को तीन महिला न्यायाधीशों ने भी पद की शपथ ली थी. इनमें न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना भी शामिल हैं जो सितम्बर 2027 में भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बनने की कतार में हैं. न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के शपथ ग्रहण से पहले मौजूदा न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी समेत केवल आठ महिला न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.

उच्चतम न्यायालय 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया था. अपनी स्थापना के बाद से और पिछले लगभग 71 वर्षों में केवल आठ महिला न्यायाधीशों को देखा गया है, जिसकी शुरुआत 1989 में न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी के साथ हुई थी. उच्चतम न्यायालय में नियुक्त सात अन्य महिला न्यायाधीश हैं – न्यायमूर्ति सुजाता वी मनोहर, रूमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना पी देसाई, आर भानुमति, इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी.

 

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