*छोटे इमामबाड़े के ऐतिहासिक गेट संरक्षित स्मारक का भाग नहीं।*
*भारतीय पुरातत्व सर्वे के द्वारा सांस्कृतिक विरासत पर एक कड़ा प्रहार।* *माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों की स्पष्ट अवहेलना।*
छोटे इमामबाड़े के जर्जर हो रहे गेटों के सम्बन्ध अधिवक्ता सय्यद मोहम्मद रिज़वी की PIL के सम्बंध में द्वारा की गयी शिकायत के सम्बन्ध में भारतीय पुरातत्व सर्वे के द्वारा भ्रामक निस्तारण करते हुए ये कहा है कि :-लोक शिकायत पंजीकरण संख्याDCLTR/E/2021/00813 दिनांक 06.07.2021 के सन्दर्भ में अवगत कराना है कि केन्द्रीय संरक्षित स्मारक टाॅम्ब आफ मोहम्मद अली शाह (छोटा इमामबाड़ा), लखनऊ के बाहर पूर्वी व पश्चिमी गेट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित स्मारक घोषित नहीं हैं। यह भी अवगत कराना है कि केन्द्रीय संरक्षित स्मारक टाॅम्ब आफ मोहम्मद अली शाह (छोटा इमामबाड़ा), लखनऊ के पूर्वी गेट से सटी हुयी संहचियाँ (cells) जिनमें सतखण्डा पुलिस चौकी स्थित है भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित स्मारक घोषित नहीं है।* जब्कि उक्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का आदेश कहता है – *Mausoleum of King Mohammad Ali Shah beyond the Residency*
ऐसे में इस प्रकार का दृष्टिकोण सांस्कृतिक विरासत के लिए एक अभूतपूर्व क्षति है। मेरा लखनऊ की सांस्कृतिक विरासत में रुचि रखने वाले इतिहासकारों से ये प्रश्न है कि :-
1. क्या छोटे इमामबाड़े के बाहरी गेट उसका हिस्सा नहीं हैं ?
2.क्या छोटे इमामबाड़ों के दोनों बाहरी गेटों पर अवैध अतिक्रमण सही है ?
3.क्या छोटे इमामबाड़े के सामने का नौबतखाना छोटे इमामबाड़े का भाग नहीं है ?
4.क्या 1920 का आसरे क़दीमा का प्रोटेक्शन आर्डर जिसमें “मोहम्मद अली शाह का मक़बरा, रेजीडेंसी के आगे ” को महफूज़ किया जाना लिखा है, में छोटे इमामबाड़े के गेट नहीं आते ?
5.क्या पुलिस विभाग , जो विरासती इमारतों पर हुए अतिक्रमण को हटाने की ज़िम्मेदार है के द्वारा छोटे इमामबाड़े के गेट पर क़ब्ज़ा कर के पुलिस चौकी बना कर नया निर्माण कर गेट को क्षति पहुँचाने और विरूपित करने का अधिकार है ?
6.क्या आसारे क़दीमा जिसकी ज़िम्मेदारी अपने अधीन स्मारकों को बचाने की है , वो इन स्मारकों से इतनी आसानी से हाथ धो सकता है ?
7.क्या आसारे क़दीमा का ये ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान कि छोटे इमामबाड़े का गेट उनकी ज़ेरे निगरानी नहीं है , है कोर्ट के हुक्म की तौहीन नहीं है ?