चिराग पासवान का चाचा पशुपति पर हमला, बोले- 9 सस्पेंड लोगों ने चुना ‘अवैध’ अध्यक्ष,
पटना. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में पद और पावर को लेकर चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के बीच खींचतान जारी है. इस बीच राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सांसद पशुपति कुमार पारस को निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने पर भतीजे ने बड़े बयान दिया है. चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कहा कि मेरे चाचा पशुपति ने मेरे पिताजी रामविलास पासवान के साथ मिलकर पार्टी बनाई थी. सदन का नेता चुनने का अधिकार केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड को है. उन्होंने जो गतिविधियां की हैं वह पार्टी के संविधान के खिलाफ हैं. वे पार्टी का गलत तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं.
इसके साथ चिराग पासवान ने कहा कि करीब 75 केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड में से 9 लोगों ने मिलकर चाचा को निर्विरोध अध्यक्ष चुना है. जबकि ये सभी सस्पेंड चल रहे हैं. अध्यक्ष का चयन अवैध है. बाकी लोग हमारे साथ हैं. इससे हमारा पलड़ा भारी है.
…जब जब भतीजा तानाशाह हो तो
वहीं, पशुपति पारस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद कहा था कि जब भतीजा तानाशाह हो जाए तो चाचा मजबूरन क्या करेगा. पार्टी व्यवस्था में ये कहीं नहीं है कि कोई व्यक्ति आजीवन राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. हमारी पार्टी का जो संविधान है, उसमें प्रत्येक 2-3 वर्ष में अध्यक्ष का चुनाव होना है. इसके साथ उन्होंने कहा कि पार्टी के हमारे कार्यकर्ताओं को मैं विश्वास दिलाता हूं कि लोजपा के अंदर कोई मतभेद नहीं है, कोई विरोध नहीं है. अगर विरोध होता तो मैं निर्विरोध निर्वाचित नहीं होता. पशुपति पारस ने कहा, ‘मुझे निर्विरोध पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया गया. हमारे जो साथी पार्टी में किसी बड़े नेता से दुखी होकर पार्टी छोड़कर चले गए हैं, मैं उनसे माफी मांगता हूं. सभी से आग्रह है कि वापस लौट आएं.’
चिराग समर्थकों का पोस्टर
लोजपा में चाचा और भतीजे के बीच चल रहे राजनीतिक विवाद का एक नया पोस्टर गुरुवार को पटना में चिराग गुट के कार्यकर्ताओं द्वारा जारी किया गया. इसमें पशुपति पारस को फिल्म बाहुबली के किरदार कटप्पा के रूप में दिखाया गया है और खुद चिराग पासवान को बाहुबली बताया गया है. पोस्टर में बाहुबली का वह सीन दर्शाया गया है जिसमें फिल्म के हीरो बाहुबली को उनके मुंह बोले चाचा कटप्पा के द्वारा धोखा देकर उनके पीठ में खंजर घोंप दिया जाता है. इसका मकसद कार्यकर्ताओं के चाचा की हरकतों से रूबरू करवाना है, ताकि हक छीनने वाले चाचा की पोल खोली जा सके.